May 19, 2012

Home » » बच्चों को दी संस्कारों की सीख

बच्चों को दी संस्कारों की सीख


बच्चों को दी संस्कारों की सीख 
बालोतरा १९ मई २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो 
सुसंस्कार व्यक्ति के जीवन की अमूल्य निधि होती है। व्यक्ति को पैसा, मकान व अन्य भौतिक वस्तुएं मिलना सामान्य बात है परंतु सद्संस्कार मिलना एक बड़ी संपदा के मिलने जैसा है। ये उद्गार भारतीय संस्कृति के संवाहक आचार्य महाश्रमण ने तेरापंथी महासभा की ओर से आयोजित अष्ट दिवसीय राष्ट्रीय संस्कार निर्माण शिविर के समापन कार्यक्रम में उपस्थित करीब 576 बच्चों सहित संपूर्ण जनमेदनी को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि बालपीढ़ी में संस्कारों को भरना ज्यादा महत्वपूर्ण है। एक अवस्था तक व्यक्ति में ज्ञान व संस्कारों को सीखने व ग्रहण करने की क्षमता ज्यादा होती है, उसके बाद यह क्षमता कम हो जाती है। इसलिए बड़ों में संस्कार भरना थोड़ा कठिन होता है। बच्चों के इस गर्मी के मौसम में भी शिविर में भाग लेने की उत्कंठा के बारे में आचार्य ने कहा कि बच्चों को इस गर्मी में दूर-दराज के क्षेत्रों से आ जाना एक आश्वर्य की बात है।

इसमें मुनि जितेन्द्र कुमार व कार्यकर्ताओं का पुरूषार्थ भी निहित है। शिविर को उपयोगी बताते हुए आचार्य ने हर वर्ष शिविर की आयोजना होने की बात कही। उन्होंने कहा कि शिविरार्थियों पर श्रम किया जाता है तो श्रम के फलदायी होने का अवसर रहता है। संस्कारित बच्चे परिवार, समाज व राष्ट्र के लिए अच्छे साबित हो सकते हैं। महासभा की ओर से एक यह महत्वपूर्ण गतिविधि संचालित है जो बड़ी उपयोगी प्रतीत हो रही है। आचार्य ने बच्चों को जीवन में प्रामाणिकता, ईमानदारी, विनम्रता, शालीनता, सहिष्णुता और अनुकम्पा को उतारने की प्रेेरणा दी। सभी बच्चों को गुरूधारणा करवाई गई।

मंत्री मुनि सुमेरमल ने शिविरार्थियों को यहां अर्जित ज्ञान व संस्कारों को आगे और विस्तार देने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुनि राजकुमार ने 'उत्तम संस्कारों को जीवन ही उत्तम हो पाएगा' गीत का संगान किया। मुनि जितेन्द्र कुमार ने इस शिविर के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त किए। साध्वी संगीत प्रभा ने विचाराभिव्यक्ति दी। शिविरार्थी छात्रों की ओर से गीत की प्रस्तुति दी गई।

आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति के संयोजक देवराज खींवसरा ने इस शिविर के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त किए। शिविर संयोजक व महासभा सहमंत्री भूपेन्द्र मूंथा ने विचाराभिव्यक्ति दी। शिविर की छात्राओं की ओर से 'अप्रज्ञ में प्रज्ञ बन जाए' गीत की प्रस्तुति दी। श्रेष्ठ शिविरार्थी संदीप जैन ने अपने भाव व्यक्त किए। कार्यक्रम के अंत में आभार ज्ञापन सुरेश बाघमार ने किया। संचालन मुनि हिमांशु कुमार ने किया। इस शिविर को सफल बनाने में महासभा प्रभारी मुनि विश्रुतकुमार, मुनि जितेन्द्रकुमार, साध्वी अनुशास्ता व साध्वी संगीतप्रभा के साथ कार्यकर्ताओं का भी पुरुषार्थ नियोजित हुआ। 
Share this article :

Post a Comment