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मनुष्य सर्वोत्तम प्राणी: आचार्य महाश्रमण
बालोतरा १६ मई २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आचार्य महाश्रमण ने मनुष्य जीवन के बारे में कहा कि मनुष्य दुनिया का सर्वोत्तम प्राणी है। वह सीधा मोक्ष में जा सकता है और साधुत्व भी प्राप्त कर सकता है। अन्य प्राणी सीधे मोक्ष में नहीं जा सकते और न ही साधुत्व प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ मनुष्य के पास विकसित दिमाग भी है। इस दिमाग की बदौलत वह कई ऐसे कार्य कर सकता है जो अन्य प्राणी नहीं कर सकते। मगर वही मनुष्य दुनिया का सबसे खराब प्राणी भी है जो एक दिन में ही अपने विकसित दिमाग का उपयोग कर असीमित हिंसा व तांडव भी कर सकता है। ये उद्गार आचार्य महाश्रमण ने मंगलवार को नया तेरापंथ भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि आदमी अपने भीतर अहिंसा के संस्कार को पुष्ट कर हिंसा के विचारों का दमन करने का प्रयास करें। उन्होंने मूर्तिपूजक संप्रदाय के संतों के मिलने आने पर कहा कि यह इन संतों की सद्भावना है और हमारे चित्त को प्रसन्नता देने वाली बात है। मंत्री मुनि सुमेरमल ने साधक के लिए कहा कि वह जिस उत्साह व श्रद्धा के साथ धर्मचर्या में लगता है वही उत्साह व श्रद्धा उसमें सदैव बनी रहे। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुनि विजय कुमार ने जैन्म जयतु शासनम गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि हिमांशु कुमार ने किया। मुनि जिनेश कुमार ने बताया कि मूर्ति पूजक हेमेन्द्र सूरीश्वर जी महाराज के शिष्य रत्न मुनि चंद्रयश विजय व मुनि वैराग्य यश विजय ने आचार्य महाश्रमण से मिल चर्चा की।
आचार्य के दर्शन कर धन्य हो गया: मुनि चंद्रयश विजय ने तेरापंथ शासन व इसके आचार्यों के गुणोत्कीर्तन करते हुए कहा कि मैं आचार्य तुलसी व आचार्य महाप्रज्ञ को वंदन करता हूं और सरलता व सहजता के धनी आचार्य महाश्रमण की वंदना करता हूं, जिनके दर्शन कर मैं आत्मिक शांति व दिव्य अनुभूति का अहसास कर रहा हूं। तेरापंथ शासन के अनुशासन के बारे में मुनि ने कहा कि तेरापंथ का अनुशासन सारे धर्मों व विश्व के लिए एक आदर्श के रूप में है। जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए सीखने योग्य है।
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