मानव जीवन में संयम जरूरी: महाश्रमण
समदड़ी में आचार्य की धर्मसभा में उमड़े लोग
समदड़ी जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो Published on 30 May-2012
मानव जीवन भोग विलास के लिए नहीं मिला है। जीवन में संयम धारण कर आत्मा का कल्याण किया जाना चाहिए। यदि संकल्प जाग जाए तो जीवन में बहुत कुछ किया जा सकता है। यह बात तेरापंथ भवन समदड़ी में धर्मोपदेश के दौरान मंगलवार को आचार्य महाश्रमण ने कही।
उन्होंने कहा कि मृत्यु शाश्वत सत्य है। इससे तीर्थंकर महावीर स्वामी भी नहीं बच सके। इसलिए समय रहते जीवन का मूल्यांकन करें तथा सही नियोजन कर साधना करें ताकि जीवन कल्याण में लगा जा सके। आचार्य ने संतों के जीवन को परोपकारी बताते हुए कहा कि संत जनता की सेवा तथा साधना करते है। आचार्य तुलसी ने बारह वर्ष की उम्र में संयम पथ धारण कर लिया था। साधना से लोगों को संयम व नैतिकता का रास्ता बताया। महाप्रज्ञ ने संयम की साधना से ज्ञान की प्राप्ति की। उन्होंने कहा कि महाप्रज्ञ ने 2002 में सिवांची में जनता को नैतिकता व अहिंसा का संदेश दिया। उन्होंने श्रद्धालुओं को इंद्रियों के संयम की सीख दी।
महाश्रमण में तुलसी व महाप्रज्ञ की छवि:
वरिया मठ के महंत नारायण भारती ने कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओं से कहा कि मुझे आचार्य तुलसी व महाप्रज्ञ के दर्शन का सौभाग्य नहीं मिला, लेकिन उनके विचारों से प्रभावित हूं। आचार्य महाश्रमण में आचार्य तुलसी व महाप्रज्ञ की छवि नजर आती है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में शिक्षा व चिकित्सा की दृष्टि से पिछड़ा हुआ है। चिकित्सा के लिए मात्र जोधपुर केंद्र है जहां अच्छी चिकित्सा व्यवस्था है। यह क्षेत्र आचार्य महाश्रमण के आशीर्वाद से शिक्षा व चिकित्सा का केंद्र बने ताकि ज्ञान का प्रचार हो व आम आदमी के रोगों का निदान हो। कार्यक्रम में सिवाना विधायक कानसिंह कोटड़ी ने भी विचार व्यक्त किए।
अहिंसा परमोधर्म:
समदड़ी जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो Published on 30 May-2012
आचार्य महाश्रमण ने मंगलवार सुबह 6.30 बजे धवल सेना व जनमेदिनी के साथ नई वास स्वाध्याय भवन पहुंचकर आधा घंटा तक अहिंसा परमोधर्म का उपदेश दिया। इस अवसर पर प्रकाश मेहता को अणुव्रत समिति का शाखा प्रभारी बनाया गया।
यह थे मौजूद:
धर्मोपदेश के दौरान विधायक कानसिंह कोटड़ी, श्री जैन श्वेतांबर संघ के अध्यक्ष मांगीलाल जीरावला, व्यवस्था समिति के संयोजक प्रकाश जीरावला, मंत्री घीसूलाल जीरावला, खेमराज व्यास, दीपचंद सांखला, प्रकाश मेहता, अब्बाणी परिवार के सदस्यों सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे।
समदड़ी में आचार्य की धर्मसभा में उमड़े लोग
समदड़ी जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो Published on 30 May-2012
मानव जीवन भोग विलास के लिए नहीं मिला है। जीवन में संयम धारण कर आत्मा का कल्याण किया जाना चाहिए। यदि संकल्प जाग जाए तो जीवन में बहुत कुछ किया जा सकता है। यह बात तेरापंथ भवन समदड़ी में धर्मोपदेश के दौरान मंगलवार को आचार्य महाश्रमण ने कही।
उन्होंने कहा कि मृत्यु शाश्वत सत्य है। इससे तीर्थंकर महावीर स्वामी भी नहीं बच सके। इसलिए समय रहते जीवन का मूल्यांकन करें तथा सही नियोजन कर साधना करें ताकि जीवन कल्याण में लगा जा सके। आचार्य ने संतों के जीवन को परोपकारी बताते हुए कहा कि संत जनता की सेवा तथा साधना करते है। आचार्य तुलसी ने बारह वर्ष की उम्र में संयम पथ धारण कर लिया था। साधना से लोगों को संयम व नैतिकता का रास्ता बताया। महाप्रज्ञ ने संयम की साधना से ज्ञान की प्राप्ति की। उन्होंने कहा कि महाप्रज्ञ ने 2002 में सिवांची में जनता को नैतिकता व अहिंसा का संदेश दिया। उन्होंने श्रद्धालुओं को इंद्रियों के संयम की सीख दी।
महाश्रमण में तुलसी व महाप्रज्ञ की छवि:
वरिया मठ के महंत नारायण भारती ने कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओं से कहा कि मुझे आचार्य तुलसी व महाप्रज्ञ के दर्शन का सौभाग्य नहीं मिला, लेकिन उनके विचारों से प्रभावित हूं। आचार्य महाश्रमण में आचार्य तुलसी व महाप्रज्ञ की छवि नजर आती है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में शिक्षा व चिकित्सा की दृष्टि से पिछड़ा हुआ है। चिकित्सा के लिए मात्र जोधपुर केंद्र है जहां अच्छी चिकित्सा व्यवस्था है। यह क्षेत्र आचार्य महाश्रमण के आशीर्वाद से शिक्षा व चिकित्सा का केंद्र बने ताकि ज्ञान का प्रचार हो व आम आदमी के रोगों का निदान हो। कार्यक्रम में सिवाना विधायक कानसिंह कोटड़ी ने भी विचार व्यक्त किए।
अहिंसा परमोधर्म:
समदड़ी जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो Published on 30 May-2012
आचार्य महाश्रमण ने मंगलवार सुबह 6.30 बजे धवल सेना व जनमेदिनी के साथ नई वास स्वाध्याय भवन पहुंचकर आधा घंटा तक अहिंसा परमोधर्म का उपदेश दिया। इस अवसर पर प्रकाश मेहता को अणुव्रत समिति का शाखा प्रभारी बनाया गया।
यह थे मौजूद:
धर्मोपदेश के दौरान विधायक कानसिंह कोटड़ी, श्री जैन श्वेतांबर संघ के अध्यक्ष मांगीलाल जीरावला, व्यवस्था समिति के संयोजक प्रकाश जीरावला, मंत्री घीसूलाल जीरावला, खेमराज व्यास, दीपचंद सांखला, प्रकाश मेहता, अब्बाणी परिवार के सदस्यों सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे।
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