Jun 23, 2012

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कर्मों से मिलता है सुख-दुख: आचार्य


पचपदरा २३ जून जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो 
तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने नाम कर्म के बारे में कहा कि व्यक्ति के जीवन में सुख, दुख व शरीर का रूप-रंग आदि की जो स्थितियां बनती है उनमें कर्मों का योग या वियोग रहता है। नाम कर्म शुभ व अशुभ और पुण्यात्मक व पापात्मक भी होता है। वे शुक्रवार को पचपदरा में धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे।

आचार्य ने कहा कि किसी व्यक्ति के शरीर निर्माण की क्रियान्विति नाम कर्म से होती है। शुभ नाम कर्म के उदय होने पर अनुकूल स्थितियां मिलती है, आदमी की यश कीर्ति फैलती है, उसकी वाणी का प्रभाव होता है। आदेय वचनता होती है और आदमी तीर्थंकर भी बन जाता है। उन्होंने कहा कि ऋजुता से कथनी करनी में समानता से शुभ नाम कर्म का बंधन होता है। उन्होंने व्यक्ति के गुणों के प्रति प्रमोद भावना व्यक्त करते हुए कहा कि व्यक्ति के रूप रंग का ज्यादा महत्व नहीं है। गुणवत्ता का ज्यादा मूल्य है। आचार्य ने व्यक्ति के चारित्र व गुणों को महत्व देते हुए कहा कि विवाह के प्रसंग में व्यक्ति के रूप में धन को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाए। व्यक्ति के रूप रंग का 5 प्रतिशत व गुणों का 95 प्रतिशत महत्व होता है। आचार्य ने प्रेरणा देते हुए कहा कि व्यक्ति को आत्मकल्याण के लिए भाविक, वाचिक, कायिक ऋजुता का भाव रखकर व्यवहार करना चाहिए। क्योंकि ऋजुता ही आत्म कल्याण करने वाली होती है। ऋजुता अच्छी है पर नादानी अच्छी नहीं है। व्यक्ति ज्ञानयुक्त, नादानी मुक्त ऋजुता का अभ्यास करें।

मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि व्यक्ति को अध्यात्म की ओर गति करने के लिए स्वयं को जागरूक बनाकर एक लक्ष्य निर्धारित करना पड़ेगा और उस लक्ष्य की ओर निरंतर गति करते रहना होगा। उन्होंने कहा कि व्यक्ति की मंजिल दूर है, समय कम है। ऐसी स्थिति में अगर वह रुक गया तो मंजिल मिलनी मुश्किल हो सकती है। उन्होंने प्रेरणा दी कि व्यक्ति प्रवृत्तियां करते हुए धर्म के प्रति जागरूक रहे और अप्रभत बना रहे। वह व्यवहार से अधिक धर्म को महत्व दे तो अपने श्रावकत्व को उजागर कर सकता है।

कार्यक्रम की शुरुआत में मुनि विजयकुमार ने कांटों में, फूलों में सम रहना जीवन है गीत प्रस्तुत किया। भारतीय पर्यटन विकास निगम के निदेशक डॉ. ललित के पंवार ने मायड़ भाषा में विचार व्यक्त किए। अणुव्रत समिति की ओर से ओम बांठिया व अरविंद मदाणी ने विचार रखे। विजयराज संकलेचा की ओर से शासन की शान हो गीत की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।

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