‘भारतीय संस्कृति जानने के लिए दुर्ग भ्रमण करें’
आचार्य महाश्रमण व धवल सेना ने किया कुंभलगढ़ दुर्ग भ्रमण, रात में लाइट एंड साउंड सिस्टम को भी देखा
कुंभलगढ़ 26 अप्रेल 2011(जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो )
दुर्ग भ्रमण के दौरान आचार्य महाश्रमण ने कहा कि दुर्ग की शैली व विशालता देख कर एक ही बात कही जा सकती है कि भारतीय संस्कृति की संपूर्ण जानकारी लेनी हो तो ऐसे दुर्ग देखना चाहिए। उन्होंने कहा की दुर्ग परिसर में करीब 350 जैन मंदिरों के स्मारक मौजूद है। इससे यही पता चलता है कि राजा, महाराजाओं के समय में भी जैन धर्म का प्रभाव था। उन्होंने दुर्ग के इतनी ऊंची पहाड़ी पर आश्चर्यजनक निर्माण को लेकर कहा कि सैकड़ों वर्षों पूर्व जब साधन-सुविधाओं का अभाव था, तब ऐसे विशाल निर्माण कैसे हुए होंगे। जैन मंदिरों के संरक्षण को लेकर उन्होंने कहा कि इन पर संबंधित अधिकारी एवं महकमा ध्यान दे व जैन स्मारकों का यथासंभव जीर्णोद्धार कराएं। आचार्य मंगलवार को केलवाड़ा से विहार कर प्रताप चौराहा पहुंचे, जहां दिन भर एक होटल में विश्राम कर वे अपनी धवल सेना के साथ शाम पांच बजे ऐतिहासिक कुंभलगढ़ दुर्ग पहुंचे। यहां से वे सीधे दुर्ग के शिखर बादल महल की ओर रवाना हो गए। जहां कुंभलगढ़ हेरिटेज सोसायटी के सचिव कुबेरसिंह सोलंकी ने उनकी धवल सेना को दुर्ग के इतिहास से रूबरू कराया। साथ ही रात में दुर्ग में आयोजित लाइट एंड साउंड का कार्यक्रम देखकर कुंभलगढ़ का पूरा इतिहास सुना।
आचार्य आज मजेरा में
अप्रेल 2011(जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो )
आचार्य महाश्रमण अपनी धवल सेना के साथ बुधवार को शनि मंदिर से मजेरा में प्रवेश करेंगे, जहां से विशाल अहिंसा रैली के रूप में वे महाप्रज्ञ के प्रथम पुण्यतिथि के तीन दिवसीय समारोह में शामिल होंगे। आयोजक फतहलाल मेहता ने बताया कि बुधवार को कार्यक्रम में राजस्थान के पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी भाग लेंगे।
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