May 5, 2011

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मनुष्य को वाणी में संयम रखना चाहिए : आचार्य महाश्रमण


रिछेड़ प्रवास के दौरान बुधवार को धर्मसभा में वाणी पर दिए प्रवचन

रिछेड़ 5 May 2011  (जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो )

आचार्य महाश्रमण ने कहा कि मनुष्य को अपनी वाणी में संयम रखना चाहिए। बिना किसी कारण के बोलने से मानव की ज्ञान क्षमताएं घटती हैं।
रिछेड़ में धर्म सभा के दौरान श्रावकों को संबोधित करते हुए

आचार्य ने यह विचार बुधवार को रिछेड़ में धर्म सभा के दौरान श्रावकों को संबोधित करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि मनुष्य को कम बोलने के साथ ही सत्य भाषण करना चाहिए। असत्य से बचना चाहिए। असत्य भाषण से ज्ञानेंद्रियों के द्वार बंद हो जाते है तथा कामेंद्रियां भी प्रभावित होती हैं। कम बोलने के फायदे बताते हुए आचार्य ने कहा कि जब हम कम बोलते हैं तो हमसे असत्य भाषण भी नहीं निकलता। साथ ही हम जब कम बोलते हैं तो हमारी आत्म शक्ति भी बढ़ती है, जो हमारे अध्यात्म को मजबूत बनाती है।
रिछेड़ में धर्म सभा के दौरान श्रावकों को संबोधित करते हुए

आचार्य ने जीवन की अस्थिरता पर कहा कि व्यक्ति का जीवन स्थाई नहीं रहता है। लोग आते हैं, कर्म करते है और चले जाते हैं। लेकिन व्यक्ति अपने द्वारा किए गए अच्छे कार्यों की छाप छोड़ जाता है, जिनका दुनिया अनुशरण करती है। दुनिया उसी का अनुशरण करती है जो सत्य संयमित वाणी का ज्यादा प्रयोग करते हैं और अपनी कार्य क्षमता को ज्यादा विकसित करते हैं।
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