Apr 18, 2012

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आचार्य महाप्रज्ञ की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम

१६ अप्रैल २०१२. चूरू
तेरापंथ धर्म संघ के १०वें आचार्य महाप्रज्ञ की दूसरी पुण्यतिथि के पर सोमवार को जिले में कई जगह प्रार्थना सभाएं हुईं। कार्यक्रमों में आचार्य का गुणनुवाद किया गया। श्रावकों ने नम आंखों से महाप्रज्ञ का स्मरण किया।
 
सुजानगढ़/ छापर .
दस्साणी भवन में जैन श्वेताबंर तेरापंथी सभा, तेरापंथ युवक परिषद व महिला मडंल की ओर से साध्वी राजीमति के सानिध्य में श्रद्धाजंलि सभा हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ महाप्रज्ञ अष्टकम से हुआ। साध्वी कुसुमप्रज्ञा व पुलकित यशा ने श्रद्धाजंलि स्त्रोत प्रस्तुत किया। महिला मंडल की बहनों व साध्वी करुणाश्राी व समताश्री ने गीतिका प्रस्तुत की। साध्वी राजीमति ने आचार्य महाप्रज्ञ के जीवन से जुड़े संस्मरण बताए। इस मौके पर विमला लोढ़ा, प्रदीप बैद, अंजू मालू, सीताराम दाधीच व सुभाष बेदी ने भी विचार प्रकट किए। संचालन अजय चोरडिय़ा ने किया। इसी क्रम में छापर के भिक्षु साधना केंद्र में मुनि सुमेरमल सुदर्शन के सानिध्य में सभा हुई। मुनि जयंत कुमार, मुनि अनुशासन कुमार, मुनि तन्मय कुमार, अमृत सांसद रणजीत दूगड़, सभा प्रवक्ता प्रदीप सुराणा, आलोक नाहटा, हर्षलता दुधोडिय़ा, यशा दुधोडिय़ा, प्रिया नाहटा व जयश्री दुधोडिय़ा ने विचारों के माध्यम से आचार्य को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

करुणा का दरिया थे महाप्रज्ञ
राजलदेसर.
साध्वी सेवा केंद्र व्यवस्थापिका कैलाशवती के सानिध्य में प्रेक्षा प्रणेता आचार्य महाप्रज्ञ की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम हुआ। साध्वी ने कहा कि गुरुदेव करुणा का बहता दरिया थे। उनमें बचपन से ही करुणा के संस्कार थे। साध्वी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ का पहला संकल्प था कि मैं ऐसा कोई काम नहीं करुंगा जिससे मेरे गुरु को चिंतन करना पड़े। दूसरा मेरे सामने कैसी भी स्थिति आए मैं अपना धैर्य नहीं खोऊंगा। तीसरा संकल्प था कि मैं किसी का अनिष्ट चिन्तन नहीं करुंगा। महाप्रज्ञ ने अपने जीवन में तीनों संकल्पों की अखंड आराधना की। साध्वी ललिताश्री ने महाप्रज्ञ की जन्म स्थली टमकोर गांव को पुण्य धरा बताते हुए कहा कि मुझे भी उस धरा पर जन्म लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। साध्वी गुरुयशा के मंगलाचरण से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। साध्वी प्रभाश्री ने कविता, साध्वी रजतयशा ने गीतिका व महिला मंडल ने गीतिका के माध्यम से श्रद्धांजलि प्रस्तुत की।

आवेश और तनाव से मुक्त थे आचार्य
लाडनूं.
आचार्य महाप्रज्ञ का जीवन जागरूकता और अप्रमाद का अतुलनीय उदाहरण है। वे सदा आवेश और तनाव से मुक्त रहे। ये विचार तेरापंथ धर्म संघ के दसवें अधिशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ के महाप्रयाण दिवस पर हुए कार्यक्रम में शासन गौरव मुनि धनंजय कुमार ने व्यक्त किए।
पहली पट्टी स्थित ऋषभद्वार सभागार में हुए इस कार्यक्रम में मुनि कुमार ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ का जीवन अपने आप में एक धरोहर है। उनके समर्पण, पुरुषार्थ और आत्म कर्तव्य की गाथा प्रेरणादायी है। मुनिश्री ने कहा कि वे एक विशिष्ट महायोगी थे। साध्वी रतनश्री ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ एक ऐसे चमत्कारी महासूर्य है जिनके नाम का स्मरण करने से भी चमत्कार घटित हो जाए। समणी मल्लिप्रज्ञा ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ समण श्रेणी के सर्वांगीण विकास के स्वपन दृष्टा थे।
नगर पालिकाध्यक्ष बच्छराज नाहटा ने भी महाप्रज्ञ पर विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ समणी मृदुप्रज्ञा के मंगलाचरण से हुआ। साध्वी प्रमोदश्री ने महाप्रज्ञ के अवदानों पर प्रकाश डाला। मुनि अक्षय प्रकाश, मुनि मलयज कुमार साध्वी मृदुला कुमारी, साध्वी सूरजकुमारी, साध्वी चांद कुमारी, साध्वी हिमश्री, तेरापंथी सभा के मंत्री राजेश खटेड़ व समणी रमणीय प्रज्ञा ने भी विचार व्यक्त किए। ओसवाल सभा के मंत्री लक्ष्मीपत बैंगाणी व राजूदेवी चौरडिय़ा ने गीतिका प्रस्तुत की। संचालन सुनीता बैद ने
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