Apr 10, 2012

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सहिष्णुता होने पर कलह से बचाव संभव'



पाली १० अप्रेल २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो 
आचार्य महाश्रमण ने किया वी डी नगर से विहार, शहरवासियों ने दी भावभीनी विदाई, आज करेंगे केरला गांव के लिए विहार 
आचार्य महाश्रमणजी ने सोमवार को भास्कर से बातचीत में कहा कि पाली बहुत अच्छा शहर है। यहां के लोगों की धर्म भावना से वे भी काफी प्रभावित हुए हैं। विहार से पूर्व पालीवासियों के लिए संदेश का निवेदन करने पर आचार्यश्री ने तीन प्रमुख बातों पर ध्यान देने का आग्रह किया। 
 पाली पाली १० अप्रेल २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
कलह को त्याज्य बताते हुए आचार्य महाश्रमण ने कहा कि ऋषियों एवं साधुओं के लिए अपेक्षित है कि वे कलह का वर्जन करें। उन्होंने कहा कि अकेले व्यक्ति में कलह की संभावना नहीं रहती। अनेक व्यक्ति जहां साथ होते हैं वहां कलह हो सकता है। वे सोमवार को गुमटी स्थित कोठारी फार्म में श्रावक-श्राविकाओं को प्रवचन कर रहे थे।

आचार्य ने कहा कि पुरानी बातों को याद करके कलह नहीं करनी चाहिए। झगड़े के पीछे अहंकार का कारण भी होता है। स्वार्थ की चेतना कलह की उत्पत्ति का एक स्थान है, सहिष्णुता होने पर कलह से काफी बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि परिवार संयुक्त हो या नहीं भी हो, लेकिन उनमें अलग-अलग रहते हुए भी वैमनस्य नहीं भावात्मक शुद्धता का तार जुड़ा होना चाहिए। ऐसा होने पर वह संयुक्त परिवार का रूप बन जाता है। परिवार में किसी एक बड़े को बहुमान देकर चलना भी अच्छी बात है, लेकिन बहुमान वाला व्यक्ति भी निस्वार्थ भाव से चिंतन करें।

मैत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि संतों का पथ साधना होता है, जिस दिन वे संत बनते हैं उसी दिन से उनका एक ही लक्ष्य होता है कि सारी क्रियाएं साधना का माध्यम बने। संतों की हर क्रिया में कर्म निर्जरा होती है, इसलिए साधु- साध्वी अपनी हर क्रिया को साधना के रूप में स्वीकार कर चलते हैं। उन्होंने कहा कि श्रावक भी कर्म करते हुए अध्यात्म में रहता है, अनासक्त रहता है तो उसको बड़ा लाभ मिल सकता है। कार्यक्रम को श्रवण कुमार कोठारी ने भी संबोधित कर अपनी अभिव्यक्ति दी। आयोजन में पूर्व सांसद पुष्प जैन, गणपत कोठारी, भेरचंद गोगड़, तेरापंथ सभा के पूर्व मंत्री गौतम छाजेड़, भाजपा नेता नरेश ओझा, महावीर संकलेचा, सुशील लूणावत, सज्जन बांठिया, चारभुजा ट्रस्ट के अध्यक्ष भीखमचंद सिसोदिया, सज्जन धारीवाल, विनय बंब सहित कई प्रबुद्धजन उपस्थित थे। 
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