Apr 10, 2012

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टिटलागढ (उड़ीसा )"ज्ञानशाला"



 टिटलागढ (उड़ीसा )"ज्ञानशाला"

"चरित्र निर्माण व नैतिक-सुसंस्कार देने का अभिनव प्रयोग"

       यह एक अकाट्य सत्य है कि वयस्कों के जीवन में परिवर्तन आना सहज नहीं है जिस प्रकार छोटे पौधे की कोमल डाली  को जैसा चाहें रूप दे  सकते हैं लेकिन बड़े पेड़ की डाली टूट सकती है किन्तु  उसे इच्छानुकूल नहीं मोड़ा जा सकता |उसी प्रकार  बच्चों को हम प्रारंभ काल से  ही अच्छी नैतिक व चारित्रिक शिक्षा देकर संस्कारित  बना सकते हैं |
 टिटलागढ (उड़ीसा )में यह कार्य एक ज्ञानशाला कर रही है जिसमें 'जीवन विज्ञान' (आर्ट ऑफ़ लिविंग)धार्मिक तत्व ज्ञान ,शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपयोगी आसन - प्राणायाम ,ध्यान योग ,कला-संस्कृति के साथ साथ राष्ट्रीयता व चरित्र की भावना भरी जाती है |इस प्रकार की ज्ञानशाला देश के कोने-कोने में  (करीब 3००)   युवा तपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण के मार्गदर्शन में बच्चों को सुसंस्कारित करने में लगी हुई है ये ज्ञानाशालएं श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा द्वारा संचालित है व इसे समाज की स्थानीय संस्थाओं का सहयोग प्राप्त है टिटलागढ (उड़ीसा ) ज्ञानशाला का दायित्व स्थानीय तेरापंथमहिला मंडल  बड़ी सूझ-बुझ से निभा रही है  महिला मंडल और युवक परिषद् का पूरा सहयोग प्राप्त होता है |

          सेवा भावी ,अनुभवी व प्रशिक्षित  प्रशिक्षकाओं द्वारा बच्चों को प्रशिक्षित करने का कार्य प्रत्येक रविवार को तेरापंथ भवन में निः शुल्क नियमित चलता है ज्ञानशाला की  निर्धारित - प्रारूप की क्लास चलती है
                                                         
       समाज की  भावी पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का यह एक पवित्र कार्य है आचार्य श्री तुलसी ने कई दशकों पूर्व उसकी कल्पना समाज के सामने रखी ,आचार्य महाप्रज्ञ ने उसे पोषण दिया और वर्तमान आचार्य श्री महाश्रमण जी के दिशा निर्देशन में इस कार्य को अग्रगति मिल रही है |
अपने बच्चों को अपनी तरह अच्छे श्रावक व सुसंस्कारित नागरिक बनाने की चाह रखने वाले  अभिभावकों का  कर्त्तव्य है कि वे अपने नौनिहालों को अवश्य ज्ञानशाला भेजें |


बोलांगीर टिटलागढ (उड़ीसा )  १० अप्रेल २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज 
टिटलागढ (उड़ीसा ) में  ज्ञान शाला एक साल से चल रही है जहा ८५ बच्चे जैन भाग शिशु बोध की १-२ पाठ्यक्रम की परीक्षा दी है !! ज्ञान शाला प्रत्येक रविवार दोपहर 11 से एक बजे तक चलती है बच्चो ने पच्चीस बोल इत्यादि याद कर लिए है !! इस दस अप्रेल  यानी आज  टिटलागढ ज्ञान शाल को एक वर्ष पूरा होने जा रहे है इस अवसर पर एक भव्य आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन रखा गया है !! जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो की प्रतिनिधि से बात करती हुई ज्ञान शाला प्रभारी श्रामती शोभा जैन  के मुताबिक़ उड़ीसा के बोलांगीर जिला के एक छोटे से कस्बे टिटलागढ में यह उत्तेम प्रयास है तेरापंथ महिला मंडल के द्वारा संचालित ज्ञान शाला उत्रौतर वृद्धि करे यही मंगल भावना है ज्ञात रहे टिटलागढ (उड़ीसा ) में आज से दो वर्ष पूर्व साध्वी श्री कुंदन रेखा जी का चातुर्मास भी हुआ था !! एवं समनी सिल प्रज्ञा जी का प्रवास भी रहा !! हमे मिली जानकारी के अनुशार जिला बोलांगीर कस्बा टिटलागढ (उड़ीसा )से अब तक धर्म संघ में आठ दीक्षाए भी हुई है ! करीब १२० परिवार यहा तेरापंथी है और एक भवन भी है !! बालक कल के समाज का निर्माता है। बालकों को ज्ञानशाला के माध्यम से संस्कारित कर समाज को सुधारा जा सकता है। उन्होंने ज्ञानशाला में निस्वार्थ सेवा देने वाले प्रशिक्षकों को साधुवाद दिया। 




ज्ञानशाला की पृष्ठभूमि
महासभा द्वारा भावी पीढ़ी को संस्कारित, सुयोग्य और सम्यक दृष्टिसंपन्न बनाने के लिए तथा किशोर वय में ही उन्हें आध्यात्मिक, धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक मूल्यों से परिचित कराने हेतु व्यापक स्तर पर पूरे देश में ज्ञानशालाओं का संचालन किया जाता है। इन ज्ञानशालाओं में जैन जीवन शैली और जैन तत्वों की प्राथमिक जानकारी देकर बच्चों को धार्मिक जीवन पद्धत्ति की ओर उन्मुख किया जाता है, साथ ही एक पूर्ण मनुष्य के निर्माण कि आधारशिला रखी जाती है।
ज्ञानशाला का महत्व
  • बाल पीढ़ी के संस्कारों को सुदृढ़ करने की सार्थक कोशिश।
  • बाल पीढ़ी में जैन तत्व दर्शन की आधारशिला का निर्माण।
  • बाल पीढ़ी को स्वस्थ एवं संतुलित जीवन क्रम का दिशा बोध देने के लिए जीवन विज्ञान प्रशिक्षण।
  • भौतिक संसाधनों की अंधी दौड़ में दिग्भ्रमित बाल पीढ़ी को समायोजित पथ दर्शन के लिए अणुव्रत प्रशिक्षण।
  • आध्यात्मिक, शैक्षणिक, व्यावहारिक, सांस्कृतिक, संघीय एवं व्यक्तित्व निर्माण की बहुरंगी विधाओं का सजग प्रशिक्षण।
  • धर्मसंघ की एवं समाज की ऐसी पीढ़ी का निर्माण जिस पर हर आने वाला कल गर्व कर सके।






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