साधना पद्धति मोक्ष का मार्ग
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि राग व द्वेष पाप कर्मों के जिम्मेदार है। राग एक ऐसी वृत्ति है जिसे छोडऩा कठिन है, जबकि द्वेष को छोडऩा इससे कुछ आसान है। आचार्य शनिवार को वीडी नगर स्थित महावीर समवसरण में प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि धर्म के साथ जुड़ा हुआ राग प्रशस्त राग तथा पदार्थों के प्रति मोह राग होना अप्रशस्त राग है। साधुओं की साधना पद्धति मोक्ष का मार्ग है तथा गृहस्थों का मार्ग मोह का मार्ग है, लेकिन गृहस्थ भी घर में धर्म की साधना कर सकते हैं। उन्होंने गृहस्थों को प्रेरणा देते हुए कहा कि गृहस्थ लोग समाज व भौतिकता में रहते हुए भी कमल की तरह स्वयं को निर्लिप्त बनाए रखें।
आचार्य ने 'साधना ही शांति का आधार हैÓ गीत प्रस्तुत किया तो पूरा परिसर साधनामय हो गया। इस दौरान मुनि सुमेरमल व ज्ञानप्रभा ने भी प्रवचन दिए। इस अवसर पर पाली की साध्वियों व समणियों की ओर से भक्ति गीत की प्रस्तुतियां दी गईं। इस अवसर पर विजयकृष्ण नाहर की लिखी पुस्तक 'महामृत्युंजय महायोगी महाप्रज्ञÓ पुस्तक का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।
इससे पूर्व आचार्य ने उस दुकान का अवलोकन किया जहां आचार्य भिक्षु ने चातुर्मास किया था, इसके बाद नए व पुराने तेरापंथ भवनों का भी अवलोकन किया।
Post a Comment