Apr 7, 2012

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लोभ है पाप का द्वार'



Saturday, 07 Apr 2012 
 पाली ६ अप्रेल २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो 
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पाली। आचार्य महाश्रमण ने कहा कि लोभ पाप का द्वार होता है। क्रोध से प्रेम, मान से विनय का , माया से मित्रों की कमी व लोभ से सब कुछ नष्ट हो जाता है। वे शुक्रवार सुबह वीडी नगर में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लोभ ही हिंसा, झूठ, चोरी व पाप का जनक है। निर्लाेभ व्यक्ति सात्विक व तनाव मुक्त होता है। इच्छा का कोई पार नहीं है। जैसे-जैसे लाभ बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे लोभ बढ़ता जाता है।
आकांशाओं को पूरा करने के लिए व्यक्ति गलत तरीकों से पैसा अर्जित करने लगता है। इच्छाओं का सीमांकन करने की सीख देते हुए आचार्य ने कहा कि अनिच्छ होना बहुत कठिन है। इच्छाओं का सीमाकरण करते हुए व्यक्ति को धार्मिक कार्योü को आत्मसात कर लेना चाहिए। ध्यान, योग व पवित्र कार्योü में अपनी शक्तियों का नियोजन करना ही आध्यात्मिक सेवा है। संतोष परम सुख है।
व्यक्ति को संतोष धारण करते हुए परिग्रह का अल्पीकरण करते हुए धन, धान्य व स्वर्ण आदि के स्वामित्व से मुक्त होना चाहिए। स्वामित्व का विसर्जन होना ही धर्म है। उन्हाेंने कहा कि साधु को संतोष्ाी, त्यागी व समभावी होना चाहिए। राग के समान दु:ख नहीं व त्याग के समान कोई सुख नहीं है। त्याग को बढ़ाते हुए भोग से योग व मनोरंजन से आत्मरंजन की ओर बढ़े। पैसा अर्जन करने में सादगी रखने के साथ किसी को धोखा नहीं देंवे। नैतिकता से ही लोभ की संज्ञा पर चोट पहुंचाई जा सकती है।
विमोचन आज
पाली। आचार्य महाश्रमण अहिंसा समवसरण में शनिवार सुबह विजय कृष्ण नाहर द्वारा जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के संस्थापक आचार्य के जीवन पर लिखी पुस्तक मृत्यंुजय महायोगी आचार्य भिक्षु का विमोचन करेंगे। विभाग प्रचार प्रमुख मेघराज ने यह जानकारी दी।
देंगे सीख, करेंगे प्रवचन
अणुव्रत समिति की ओर से वीर दुर्गादास नगर में शनिवार सुबह नौ बजे आचार्य महाश्रमण स्वस्थ समाज एवं अणुव्रत विषय पर प्रवचन करेंगे। रात आठ बजे तेरापंथ युवक परिषद की ओर से आयोजित युवा शक्ति एवं वर्तमान की चुनौतियां विषय पर आयोजित कार्यक्रम में आचार्य प्रवचन करेंगे। साथ ही मुनि जम्बुकुमार मंगलाचरण, परिषद के अध्यक्ष स्वागत भाषण, जैन युवा संगठन के पूर्व अध्यक्ष विनय बम्ब व परिषद के सह प्रभारी मुनि योगेशकुमार उद्बोधन देंगे।
दिखाए चित्र, पूछे प्रश्न
तेरापंथ महिला मंडल की ओर से वीडी नगर में शुक्रवार रात श्रावक सम्बोध प्रतियोगिता हुई। श्रावकों से जैन धर्म पर आधारित प्रश्नों के उत्तर पूछे गए। साथ ही भगवान महावीर के जीवन से जुड़े चित्रों को दिखाकर वाल पूछे गए। इस अवसर पर आचार्य महाश्रमण का सान्निध्य रहा।
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