May 22, 2012

Home » » कैसे सहें?

कैसे सहें?







12 hours ago 





बालोतरात्न कैसे सहन करें, यह भी एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। सहना सुखी जीवन की एक अनिवार्य अपेक्षा है। वास्तव में जो सहना जानता है, वही जीना जानता है। जिसे सहना नहीं आता वह न शांति से स्वयं जी सकता है और न अपने परिवार के वातावरण को शांतिमय रहने देता है। जहां समूह है वहां कई लोगों को साथ जीना होता है। जहां दूसरे के विचारों को सुनने, समझने, सहने और आत्मसात करने की क्षमता नहीं होती, वहां अनेक उलझने खड़ी हो जाती है। जितने भी कलह उत्पन्न होते हैं, चाहे वे पारिवारिक हों या सामाजिक, उनके मूल में एक कारण असहिष्णुता है। मनुष्य में दो प्रकार की वृत्तियां होती हैं। कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जेा नैसर्गिक शांत प्रकृति वाले होते हैं, प्रतनुकषाय होते हैं। उनके सामने कितनी ही प्रतिकूल स्थिति क्यों न उत्पन्न हो जाए, उनके साथ कैसा भी अप्रिय व्यवहार क्यों न कर लिया जाए, वे क्रोधित नहीं होते। ऐसे व्यक्ति परिवार और समाज के लिए आदर्श होते है। हर व्यक्ति उस आदर्श तक न भी पहुंच सके पर अभ्यास और दृढ़ संकल्प से व्यक्ति अपनी आदत को परिष्कृत और परिमार्जित कर सकता है।

शारीरिक सहिष्णुता: सबसे पहले हम शरीर को लें। कुछ व्यक्ति शरीर से बहुत कठोर श्रम कर लेते हैं तथा कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जो थोड़े से श्रम से भी थकान का अनुभव करने लग जाते हैं। कुछ व्यक्ति चालीस- पचास किलो वजन आसानी से उठा लेते हैं तो कुछ व्यक्तियों को दो किलो वजन उठाने में भी सोचना पड़ता है। ऐसा क्यों? इसके पीछे कई कारण हो सकता हैं। कुछ अंशों में अभ्यास की कमी भी एक कारण बनती है। एक तथ्य यह है कि शरीर को जिस स्थिति और जिस वातावरण में रखा जाता है वह वैसा ही बन जाता है। एक बार सुविधा ही स्थिति में शरीर को रख लेने के बाद कठोरता का सहना मुश्किल हो जाता है।

क्चआचार्य महाश्रमण 
Share this article :

Post a Comment

 
Copyright © 2011. JTN: कैसे सहें? . All Rights Reserved
Company Info | Contact Us | Privacy policy | Term of use | Widget | Advertise with Us | Site map
Template modify by Creating Website. Inspired from CBS News