Jun 23, 2012

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भिक्षा में शिष्य देने वाले माता-पिता धन्य: आचार्य



पचपदरा २२ जून २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो


भारतीय ऋषि परंपरा के संवाहक आचार्य महाश्रमण ने साधना के लिए घर से अभिनिष्क्रमण को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि कमाई के लिए, कमाने के लिए, पढ़ाई के लिए घर से निकलना एक बात है, पर साधना के लिए घर से अभिनिष्क्रमण कर देना महत्वपूर्ण बात है। उन्होंने कहा कि चरित्र को स्वीकार कर लेना जीवन की ही नहीं, जीव की भी महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो अनादिकाल से संसार में भ्रमण कर रहा है। जब कोई मुमुक्षु चारित्र को स्वीकार कर लेता है तो वह उसके जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण होता है। आचार्य गुरुवार को पचपदरा में आयोजित दीक्षा महोत्सव के दौरान श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित कर रहे थे।

पांच मुमुक्षुओं ने ली दीक्षा

दीक्षा समारोह में दो समणियों सहित 3 मुमुक्षु भाई व 2 मुमुक्षु बहिनों ने दीक्षा स्वीकार की। समारोह में श्रेणी आरोहण करने वाली समणी वद्र्धमान प्रज्ञा व समणी सुयश प्रज्ञा ने विचार व्यक्त किए। मुमुक्षु अशोक बोथरा, मुमुक्षु जय मेहता, मुमुक्षु विवेक बोथरा व मुमुक्षु वीणा बाफना, मुमुक्षु हर्षिता बोथरा ने अपने भावों से स्वयं को समर्पित करने की भावना व्यक्त की। समणी अचल प्रज्ञा ने समणियों का तथा मुमुक्षु गुण श्री व मुमुक्षु रेखा ने मुमुक्षु भाई-बहनों का परिचय दिया।

तेरापंथ की दीक्षा में पारदर्शिता

तेरापंथ की दीक्षा में किसी प्रकार का दबाव, फुसलाना, बहकाना या प्रलोभन नहीं होता है। दीक्षा में पूर्ण पारदर्शिता रखी जाती है। इसी पारदर्शिता के अंतर्गत मुमुक्षु भाई बहनों के माता-पिता द्वारा लिखित में दिए जाने वाले आज्ञा पत्र का वाचन डूंगरमल बागरेचा ने किया। आज्ञा-पत्र को मुमुक्षुओं के पारिवारिक जनों ने आचार्य को निवेदित किया। उपस्थित संपूर्ण जनमेदनी के समक्ष आचार्य ने माता-पिता से और बाद में पारिवारिक जनों से तथा अंत में स्वयं मुमुक्षुओं से स्वीकृति पृच्छा की। आचार्य ने समणियों से भी स्वीकृति पूछी। सभी की स्वीकृति होने के बाद ही आचार्य ने मंगल मंत्रोच्चार के उच्चारण के साथ समण श्रेणी को श्रेणी आरोहण कर श्रमण श्रेणी में और मुमुक्षुओं को भी श्रमण श्रेणी में समाविष्ट किया। सभी ने तीन बार आचार्य की वंदना की। आचार्य ने आर्षवाणी के साथ सभी को अतीत की आलोचना कराते हुए साधु-साध्वी दीक्षा प्रदान की। इसके बाद केशलुंचन संस्कार के अन्तर्गत आचार्य ने तीनों नव दीक्षित साधुओं का और आचार्य की आज्ञा से साध्वी प्रमुखाश्री ने नवदीक्षित साध्वियों का केश लुंचन किया।

मुमुक्षु बने साधु-साध्वी

समणी वद्र्धमान प्रज्ञा का नया नाम साध्वी वद्र्धमान यशा, समणी सुयश प्रज्ञा का साध्वी सम्बोधयशा, मुमुक्षु वीणा का साध्वी विधि प्रभा, मुमुक्षु हर्षिता का साध्वी हिमांशु प्रभा, मुमुक्षु अशोक का मुनि अनेकांत कुमार, मुमुक्षु जय का मुनि जागृत कुमार व मुमुक्षु विवेक का नया नाम मुनि विवेक कुमार रखा गया। इसके बाद संपूर्ण जनमेदनी ने 'मत्थेण वंदामि' कहकर नव दीक्षितों की वंदना की। इसके बाद आचार्य ने उन्हें अनुशासन का ओज आहार प्रदान किया। इसी क्रम में आचार्य से लोसाम (हरियाणा) के मुमुक्षु धीरण की अर्ज पर आचार्य ने 5 नवम्बर 2012 जसोल में साधु दीक्षा देने की घोषणा की। आचार्य ने मुमुक्षु खुशबू को साध्वी प्रतिक्रमण सीखने का निर्देश दिया। मुमुक्षु धीरज कांठेड ने महाश्रमण को दीक्षा गीत से अपनी दीक्षा की भावना व्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।

पचपदरा में आचार्य महाश्रमण के हाथों हुआ दीक्षा कार्यक्रम, महोत्सव में उमड़े श्रावक-श्राविकाएं
पचपदरा २२ जून २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो

Photo: भिक्षा में शिष्य देने वाले माता-पिता धन्य: आचार्य 
पचपदरा २२ जून २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो

भारतीय ऋषि परंपरा के संवाहक आचार्य महाश्रमण ने साधना के लिए घर से अभिनिष्क्रमण को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि कमाई के लिए, कमाने के लिए, पढ़ाई के लिए घर से निकलना एक बात है, पर साधना के लिए घर से अभिनिष्क्रमण कर देना महत्वपूर्ण बात है। उन्होंने कहा कि चरित्र को स्वीकार कर लेना जीवन की ही नहीं, जीव की भी महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो अनादिकाल से संसार में भ्रमण कर रहा है। जब कोई मुमुक्षु चारित्र को स्वीकार कर लेता है तो वह उसके जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण होता है। आचार्य गुरुवार को पचपदरा में आयोजित दीक्षा महोत्सव के दौरान श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित कर रहे थे। 

पांच मुमुक्षुओं ने ली दीक्षा 

दीक्षा समारोह में दो समणियों सहित 3 मुमुक्षु भाई व 2 मुमुक्षु बहिनों ने दीक्षा स्वीकार की। समारोह में श्रेणी आरोहण करने वाली समणी वद्र्धमान प्रज्ञा व समणी सुयश प्रज्ञा ने विचार व्यक्त किए। मुमुक्षु अशोक बोथरा, मुमुक्षु जय मेहता, मुमुक्षु विवेक बोथरा व मुमुक्षु वीणा बाफना, मुमुक्षु हर्षिता बोथरा ने अपने भावों से स्वयं को समर्पित करने की भावना व्यक्त की। समणी अचल प्रज्ञा ने समणियों का तथा मुमुक्षु गुण श्री व मुमुक्षु रेखा ने मुमुक्षु भाई-बहनों का परिचय दिया। 

तेरापंथ की दीक्षा में पारदर्शिता 

तेरापंथ की दीक्षा में किसी प्रकार का दबाव, फुसलाना, बहकाना या प्रलोभन नहीं होता है। दीक्षा में पूर्ण पारदर्शिता रखी जाती है। इसी पारदर्शिता के अंतर्गत मुमुक्षु भाई बहनों के माता-पिता द्वारा लिखित में दिए जाने वाले आज्ञा पत्र का वाचन डूंगरमल बागरेचा ने किया। आज्ञा-पत्र को मुमुक्षुओं के पारिवारिक जनों ने आचार्य को निवेदित किया। उपस्थित संपूर्ण जनमेदनी के समक्ष आचार्य ने माता-पिता से और बाद में पारिवारिक जनों से तथा अंत में स्वयं मुमुक्षुओं से स्वीकृति पृच्छा की। आचार्य ने समणियों से भी स्वीकृति पूछी। सभी की स्वीकृति होने के बाद ही आचार्य ने मंगल मंत्रोच्चार के उच्चारण के साथ समण श्रेणी को श्रेणी आरोहण कर श्रमण श्रेणी में और मुमुक्षुओं को भी श्रमण श्रेणी में समाविष्ट किया। सभी ने तीन बार आचार्य की वंदना की। आचार्य ने आर्षवाणी के साथ सभी को अतीत की आलोचना कराते हुए साधु-साध्वी दीक्षा प्रदान की। इसके बाद केशलुंचन संस्कार के अन्तर्गत आचार्य ने तीनों नव दीक्षित साधुओं का और आचार्य की आज्ञा से साध्वी प्रमुखाश्री ने नवदीक्षित साध्वियों का केश लुंचन किया। 

मुमुक्षु बने साधु-साध्वी 

समणी वद्र्धमान प्रज्ञा का नया नाम साध्वी वद्र्धमान यशा, समणी सुयश प्रज्ञा का साध्वी सम्बोधयशा, मुमुक्षु वीणा का साध्वी विधि प्रभा, मुमुक्षु हर्षिता का साध्वी हिमांशु प्रभा, मुमुक्षु अशोक का मुनि अनेकांत कुमार, मुमुक्षु जय का मुनि जागृत कुमार व मुमुक्षु विवेक का नया नाम मुनि विवेक कुमार रखा गया। इसके बाद संपूर्ण जनमेदनी ने 'मत्थेण वंदामि' कहकर नव दीक्षितों की वंदना की। इसके बाद आचार्य ने उन्हें अनुशासन का ओज आहार प्रदान किया। इसी क्रम में आचार्य से लोसाम (हरियाणा) के मुमुक्षु धीरण की अर्ज पर आचार्य ने 5 नवम्बर 2012 जसोल में साधु दीक्षा देने की घोषणा की। आचार्य ने मुमुक्षु खुशबू को साध्वी प्रतिक्रमण सीखने का निर्देश दिया। मुमुक्षु धीरज कांठेड ने महाश्रमण को दीक्षा गीत से अपनी दीक्षा की भावना व्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया। 

पचपदरा में आचार्य महाश्रमण के हाथों हुआ दीक्षा कार्यक्रम, महोत्सव में उमड़े श्रावक-श्राविकाएं 
पचपदरा २२ जून २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
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