मानवीय संस्कृति का पर्व है संवत्सरी
राजसमंद. २२ अगस्त २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
भिक्षु बोधि स्थल में मुनि जतनकुमार एवं मुनि आनंद कुमार के सान्निध्य में पर्युषण पर्व का अंतिम दिन त्याग, तपस्या, संयम के साथ संवत्सरी महापर्व के रूप में म
राजसमंद. २२ अगस्त २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
भिक्षु बोधि स्थल में मुनि जतनकुमार एवं मुनि आनंद कुमार के सान्निध्य में पर्युषण पर्व का अंतिम दिन त्याग, तपस्या, संयम के साथ संवत्सरी महापर्व के रूप में म
नाया गया। मुनि जतन कुमार ने कहा कि मानवीय संस्कृति का पर्व है। वस्तुत: इस पर्व का नाम पर्युषण है। भगवान महावीर के चातुर्मास के 70 दिन बाकी रहने पर पर्युषण पर्व की अराधना की जाती है।
मुनि ने कहा कि पर्युषण का अर्थ है परि उपसर्ग, वस धातु और अन प्रत्यय। इन तीनों के संयोग से पर्युषण शब्द निष्पक्ष होता है। जिस प्रकार बलवान पर धावा बोलने के लिए बल का संचय करना आवश्यक है, इसी प्रकार राग आदि शत्रुओं की घात के लिए लिए सात दिन आध्यात्मिक बल संग्रहण के समझने चाहिए। मुनि आनंद कुमार ने आध्यात्मिक गीत सुनाया।
मुनि ने कहा कि पर्युषण का अर्थ है परि उपसर्ग, वस धातु और अन प्रत्यय। इन तीनों के संयोग से पर्युषण शब्द निष्पक्ष होता है। जिस प्रकार बलवान पर धावा बोलने के लिए बल का संचय करना आवश्यक है, इसी प्रकार राग आदि शत्रुओं की घात के लिए लिए सात दिन आध्यात्मिक बल संग्रहण के समझने चाहिए। मुनि आनंद कुमार ने आध्यात्मिक गीत सुनाया।
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