रतनगढ़. २२ अगस्त २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
क्षमा का महापर्व है संवत्सरी। ये विचार गोलछा ज्ञान मंदिर में साध्वी रामकुमारी लाडनूं ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भारत धर्म प्रधान देश है, जहां समय-समय पर अनेक पर्व आते हैं। उसी के तहत जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व संवत्सरी है, जो त्याग, जप, तप, सामयिक, स्वाध्याय के साथ मनाया जाता है। साध्वी कीर्ति प्रभा ने संवत्सरी पर्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए प्रभावक आचार्यों के जीवन के बारे में बताया। साध्वी प्रज्ञावति ने अवसर्पिणी काल के 10 आश्चर्य काल बताए। साध्वी मयंक यशा ने भगवान महावीर के साधना काल पर विस्तार से प्रकाश डाला।
क्षमा का महापर्व है संवत्सरी। ये विचार गोलछा ज्ञान मंदिर में साध्वी रामकुमारी लाडनूं ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भारत धर्म प्रधान देश है, जहां समय-समय पर अनेक पर्व आते हैं। उसी के तहत जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व संवत्सरी है, जो त्याग, जप, तप, सामयिक, स्वाध्याय के साथ मनाया जाता है। साध्वी कीर्ति प्रभा ने संवत्सरी पर्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए प्रभावक आचार्यों के जीवन के बारे में बताया। साध्वी प्रज्ञावति ने अवसर्पिणी काल के 10 आश्चर्य काल बताए। साध्वी मयंक यशा ने भगवान महावीर के साधना काल पर विस्तार से प्रकाश डाला।
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