लावासरदारगढ़. २२ अगस्त २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
संवत्सरी शुद्धता प्राप्त करने का मैत्री पर्व है। इस पर्व का संयम की आराधना कर स्वागत करें। कटु व्यवहार और इस तरह के वचनों से सदैव दूर रहने का प्रयास करने की जरुरत हैं। साध्वी राकेश कुमारी ने यह बात तेरापंथ सभा भवन में आयोजित संवत्सरी पर्व के अवसर पर कही। उन्होने कहा कि आज हमें आत्म अंकेक्षण और आत्मावलोकन करने की जरुरत है। पिछले वर्ष में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रुप से हुई गलतियों के लिए तो हम खमत खामना कर लेंगें लेकिन आने वाले समय में कुछ अच्छा करने का प्रयास करें। हमें आवश्यकता इस बात की है कि हम अपनी पीढ़ी को हमारी संस्कृति के अनुरुप ढालने का प्रयास करें। इस अवसर पर साध्वी विपुलयशा व साध्वी मलयविभा ने भी संवत्सरी पर विस्तार से विचार रखें।
संवत्सरी शुद्धता प्राप्त करने का मैत्री पर्व है। इस पर्व का संयम की आराधना कर स्वागत करें। कटु व्यवहार और इस तरह के वचनों से सदैव दूर रहने का प्रयास करने की जरुरत हैं। साध्वी राकेश कुमारी ने यह बात तेरापंथ सभा भवन में आयोजित संवत्सरी पर्व के अवसर पर कही। उन्होने कहा कि आज हमें आत्म अंकेक्षण और आत्मावलोकन करने की जरुरत है। पिछले वर्ष में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रुप से हुई गलतियों के लिए तो हम खमत खामना कर लेंगें लेकिन आने वाले समय में कुछ अच्छा करने का प्रयास करें। हमें आवश्यकता इस बात की है कि हम अपनी पीढ़ी को हमारी संस्कृति के अनुरुप ढालने का प्रयास करें। इस अवसर पर साध्वी विपुलयशा व साध्वी मलयविभा ने भी संवत्सरी पर विस्तार से विचार रखें।
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