Feb 1, 2013

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मर्यादा पत्र मूल प्रति

वक्रम सम्वत् १८६२ मार्गशीर्ष कृष्णा ७ को आचार्य श्री भिक्षु ने मुनि भारमलजी को इस लिखित पत्र के द्वारा युवाचार्य पद प्रदान किया। वर्तमान में यही पत्र मर्यादा पत्र के नाम से जाना जाता है।

ऋष भीखन सर्व साधां नें पूछनें सर्व साध साधवीयां री मरजादा बांधी ते साधां ने पूछनें, साधां कना थी कहवाय नैं, लिखिए छै।

सर्व साध साध्वी भारमलजी री आज्ञा मांहै चालणो। 
विहार चोमासो करणो ते भारमलजी री आज्ञा सूं करणो। 
दीख्या देणी ते भारमलजी रे नाम दीख्या देणी।

चेला री, कपडा री, साताकारीया खेतर री आदि देई नें ममता कर कर ने अनंता जीव चारित गमाय नैं नरक निगोद माहैं गया छै तिण सूं सिषादिक री ममता मिटावण रो नैं चारित चोखो पालणरो उपाय कीधो छै।

विनै मूल धर्म नें न्याय मारग चालण रो उपाय कीधो छै।

भेषधारी विकलां नें मूंड भेला करै ते सिषां रा भूखा एक एक रा अवर्णवाद वाले। फारा-तोरो करै, कजीया राड करै। एहवा चरित देख नें साधां रे मरजादा बांधी।

सिष सिष्यां रो संतोष कराय नें सुखे संजय वालण रो उपाय कीधो।

साधां पिण इमहिज कह्यो। भारमलजी री आज्ञा माये चालणो।

सिष करणा ते सर्व भारमलजी रे करणा। भारमलजी घणा रजाबंध होय नें और साध नें चेलो सूंपे तो करणा। बीजूं करण रो अटकाव कीधो छै। भारमलजी पिण आपरे चेलो करै ते पिण तिलोकचन्दजी चंदरभाणजी आदि बुधवान साध कहै ओ साधपणा लायक छै बीजा साधां नें परतीत आवैं तेहवो करणो। परतीत नहीं आवैं तो नहीं करणो। कीधां पछै कोई अजोग हुवै तो पिण तिलोकचन्दजी चंदरभाणजी आदि बुधवान साधां रा कह्यां सूं छोड देणा पिण मांहै राखणो नहीं।

  नवपदार्थ ओलखाय नें दिख्या देणी। 
आचार पालां छां तिण रीते चोखो पालणो। 
ऐहवी रीत परम्परा बांधी छै।

 भारमलजी री इच्छा आवै जद गुरभाइ चेलादिक नें टोलारो भार सूंपै ते पिण कबूल छै। ते पिण रीत परंपरा छै। सर्व साध वाधवीयां एकण री आज्ञा मांहें चालणो एहवी रीत बांधी छै। कोई टोला मां सूं फारा तोरो करनैं, एक दोय आदि नीकलै घणी धुरताइ करै, बुगल ध्यानी हुवै, त्यांने साध सरधणा नहीं। च्यार तीर्थ मांहै गिणवा नहीं। यांनें चतुविध संघ रा qनदक जाणवा। एहवा नै वांदै पूजै तके पिण आज्ञा बारै छै। चरचा बोल किण नें छोडणो मेलणो तिलोकचंदजी चंदरभाणजी आदि बुधवान नै पूछनें करणो। सरधा रो बोल पिण इत्यादिक तिमहीज जाणवो। वले कोई याद आवे ते पिण लिखणो। ते पिण सर्व कबूल कर लेणो। ए सर्व साधां रा परमाण जोय नें, रजाबंध करने, यां कनासूं पिण जुदो जुदो कहवाउ नै मरजादा बांधी छै। जिण रा परिणाम मांहिला चोखा हुवै ते मतो घालणो। कोइ सरमा सरमी रो काम छै नहीं। मूंढै और नें मन में ओर इम तो साधु ने करवो छै नहीं। इण लिखत में खूंचणो काढणो नहीं। पछै कोइ ओर रो ओर बोलणो नहीं। अनंता सिधां रा साख सूं पचखाण छै। सं.

१८३२ मिगसर बिद ७ लिखतू ऋष भीखन रो छै। साख १ थिरपाल री छै।

लिखतु वीरभाणजी उपर लिखीयो सही। 
लिखतु हरनाथ ऊपर लिखियो ते सही। 
लिखतु ऋष सुखराम ऊपर लिखियो ते सही। 
लिखतु ऋष तिलोकचंद ऊपर लिखियो ते सही। 
लिखतु ऋष चंदरभाण ऊपर लिखियो ते सही। 
लिखतु ऋष अखैराम ऊपर लिखियो ते सही। 
लिखतु ऋष अणदा ऊपर लिखियो ते सही।
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