Feb 4, 2013

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समय का सम्मान


आचार्य महाश्रमण ने टापरा के भवन में 11 बजे प्रवेश का समय घोषित किया था। उन्होंने असाड़ा से विहार कर टापरा के लिए प्रस्थान किया। रास्ते में जगह-जगह जन समुदाय ने आचार्य का स्वागत किया और हजारों की तादाद में जनमेदनी पूज्यवर के साक्षात्कार के लिए उमड़ रही थी। आचार्य ने पांव-पांव चलते हुए ठीक ग्यारह बजे भवन को अपने पाद का स्पर्श कराया। समय की यह नियमितता देखकर प्रत्येक कोई आश्चर्य मय हर्ष अभिव्यक्त कर रहा था। पूज्यवर के स्वागत रैली में आगे मुमुक्षु बहनें, उनके पीछे समणी वृंद, बाद में प्रमुखा व साथ में मुख्य नियोजिका साध्वियां उसके बाद गुरूदेव व अनुगमन करते संत व उनके पीछे तेयुप, महिला मंडल, कन्या मंडल, किशोर मंडल व भारी संख्या में श्रद्धालु जन पंक्तिबद्ध होकर आगे गतिमान हो रहे थे। पूज्यवर का प्रवचन पंडाल में मुनि जयकुमार द्वारा बोली गई पद्यात्मक पंक्तियों के पीछे जनमेदनी पूज्यवर का स्वागत करते हुए कह रही थी भला पधारया टापरा। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।
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