May 5, 2011

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रिछेड़ प्रवास के चौथे दिन मंगलवार को तेरापंथ तुलसी विहार में आयोजित धर्मसभा में आचार्य महाश्रमण


‘जानकारी के साथ बच्चों में अच्छे संस्कार भी जरूरी’

रिछेड़ प्रवास के चौथे दिन मंगलवार को तेरापंथ तुलसी विहार में आयोजित धर्मसभा में आचार्य महाश्रमण ने कहा

रिछेड़ 4 May 2011  (जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो )
रिछेड़ में आयोजित धर्मसभा 

आचार्य महाश्रमण ने रिछेड़ प्रवास के चौथे दिन मंगलवार को तेरापंथ तुलसी विहार में आयोजित धर्म सभा में कहा कि बच्चे टीवी के युग में जी रहे हैं, जो जानकारी बच्चोंं को है वह पिता को भी नहीं रहती। जानकारी होना अच्छी बात हैं, लेकिन उनमें अच्छे संस्कार आने चाहिए। इसके लिए घरों व दुकानों में महावीर भगवान, आचार्य भिक्षु के चित्र लगाए जाएं ताकि बच्चो को संस्कार प्राप्त हो।

ज्ञान का अमृत...

शिक्षक को बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू या गुटखा का सेवन नहीं करना चाहिए। छात्र उसे देखकर सीखता हैं। समद शक्ति के साथ सहन शक्ति का विकास जरूरी है। भावात्मक विकास की कमी होगी, तो बच्चा फेल होने पर सदमा लग जाने से आत्महत्या कर लेता हैं। शिक्षक बच्चों का जीवन बदल सकते हैं : प्रेक्षा प्राध्यापक मुनि किशनलाल ने कहा कि जीवन विज्ञान जीने के व्यवस्थित ज्ञान का तरीका है। उसका अनुसरण करके जीवन विज्ञान व साइंस के माध्यम से जीवन का निर्माण कर सकते हैं। शिक्षक ब्रह्मा का रूप है। वह चाहे तो बच्चों का जीवन बदल सकते हैं। शिक्षक अपने बच्चों का भविष्य बनाना चाहते हैं, वैसे ही स्कूल के बच्चों का भी सोचें। यदि आनंदमय जीवन जीना है, तो लोभवृत्ति को त्यागना होगा। कलियुग में लोगों को दवाइयों पर विश्वास है। अपने शरीर पर नहीं। यदि प्रेक्षा ध्यान का प्रयोग नियमित करें तो स्वस्थ रह सकते हैं। मुनि योगेश, मुनि नीरज कुमार ने गीतिका प्रस्तुत की। सम्मेलन में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी पृथ्वीसिंह कच्छावा ने भी विचार रखे।

शिक्षकों को कराया प्रेक्षा ध्यान : श्रमण सिद्ध प्रज्ञ ने सभी शिक्षकों को प्रेक्षा ध्यान का अभ्यास कराया व प्रतिदिन प्रेक्षा ध्यान करने की सलाह दी। सम्मेलन में तीन सौ शिक्षक व शिक्षिकाओं ने भाग लिया। इस दौरान व्यवस्था समिति के अध्यक्ष बाबूलाल कच्छारा, तेरापंथ सभा अध्यक्ष सोहनलाल सिंघवी, सुखलाल कच्छारा, लक्ष्मीलाल चंडालिया, जसराज सरगड़ा, राधेश्याम राणा सहित व्यवस्था समिति के कई कार्यकर्ता उपस्थित थे।

कर्तव्य बोध का जागरण जरूरी
रिछेड़ में आयोजित धर्मसभा में शामिल श्राविकाएं।

आचार्य महाश्रमण ने कहा कि अहिंसा यात्रा इसीलिए कर रहे है कि पूरा देश व्यसन मुक्त और अहिंसक बने। कर्तव्य बोध का जागरण जरूरी हैं। मनुष्य को बड़ों व गुरुजनों के प्रति कर्तव्य बोध रहना चाहिए। आचार्य ने कहा शिष्य को गुरु के पास कैसे बैठना चाहिए। इसको लेकर जागरूकता होनी चाहिए। परिवार में भी परस्पर मैत्री भाव होना चाहिए। परिवार नरक न बने, आत्म तुल्य बने। उपसंघ की साधना से ही सुख प्राप्त हो सकता है। उपसंघ का अभ्यास करें। जो जन्मा है उसकी मृत्यु निश्चित है। धर्म व साधना एक ऐसी धारा है, जिससे सुख प्राप्त कर सकते हैं। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि धर्म कौन कर सकता है। भगवान महावीर ने बताया है कि धर्म वही कर सकता है, जिसका हृदय शुद्ध हो। शरीर में कषाय कम हो। .


ज्ञान का अमृत डाले, वही होता है गुरु : महाश्रमण
कुंभलगढ़  4 May 2011  (जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो )
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि शिक्षा जरूरी है। शिक्षा के लिए स्कूल बने हुए हैं। जनता व सरकार को शिक्षा के प्रति जागरूक रहना चाहिए। यह विचार आचार्य ने मंगलवार को तुलसी विहार में अणुव्रत शिक्षक सम्मेलन के दौरान उपस्थित शिक्षक व शिक्षिकाओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बच्चों को स्कूल में इसलिए भेजा जाता है कि वे वर्षों तक स्कूल में रहकर शिक्षा प्राप्त करें, आत्मनिर्भर एवं सुसंस्कारी बनें। विद्यालय एक मंदिर है, जहां शिक्षक व छात्र सरस्वती की उपासना करते हैं। ज्ञान का अमृत डाले, वो शिक्षक है। इसमें विद्यार्थियों का शारीरिक, मानसिक एवं भावात्मक विकास होना जरूरी है। शिक्षक छात्रों को ज्ञान दे यह उसका कर्तव्य बनता है।

जानकारी के साथ....
जब तक लोभ कम नहीं हो सकता व आत्मा शुद्धि की ओर नहीं बढ़ सकती। धर्म सभा में मुनि प्रसन्न कुमार, मुनि किशनलाल ने भी उद्बोधन दिया। तेरापंथ सभा भवन से श्रावकों के यहां पगल्या करने जाते समय सुबह करीब आठ बजे रिछेड़ के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक खीमज माता के मंदिर में गए तथा मंदिर में माताजी के दर्शन किए।

व्यक्तित्व विकास कार्यशाला आज : तेरापंथ सभा भवन रिछेड़ में बुधवार से दो दिवसीय व्यक्तित्व विकास कार्यशाला आयोजित की जाएगी। कार्यशाला प्रेक्षा प्राध्यापक मुनि किशनलाल के निर्देशन में होगी। कार्यशाला को आचार्य महाश्रमण भी संबोधित करेंगे।
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