May 5, 2011

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शिक्षक पर है नैतिक शिक्षा की जिम्मेदारी : प्रो. मुनि महेंद्र


जैविभा में हुई जीवन विज्ञान से व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास विषयक संगोष्ठी
लाडनूं 4 May 2011  (जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो )

प्रो. मुनि महेंद्र कुमार ने कहा कि बच्चों को नैतिक शिक्षा देने और उन्हें संस्कारवान बनाने की जिम्मेदारी शिक्षक की है।

वे मंगलावार को जैन विश्व भारती स्थित अहिंसा भवन में हुई जीवन विज्ञान से व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास विषयक अध्यापकों की संगोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आज देश में बढ़ रही हिंसा, भ्रष्टाचार, नशाखेारी, अपराध आदि समस्याओं से सभी लोग त्रस्त हैं। जब तक शिक्षा के माध्यम से हम भावी पीढ़ी का चरित्र निर्माण करने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाएंगे तब तक इन समस्याओं से मुक्त होने की कल्पना करना निरर्थक है। इस दृष्टि से अध्यापकों को देश की भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाने का संकल्प लेना चाहिए।

डा. आनंदप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि जीवन विज्ञान व्यक्त्वि के सर्वांगीण विकास का एक ऐसा शिक्षा दर्शन है जिसमें नैतिक शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा, अध्यात्म शिक्षा व योग शिक्षा का समन्वय है। लाडनूं आचार्य तुलसी जैसे महापुरुषों की जन्मभूमि है, जिनका जन्म शताब्दी वर्ष 2013-14 में मनाया जाएगा। जैविभा के कुलसचिव प्रो. जेपीएन मिश्रा ने कहा कि शिक्षा हमारे जीवन का अविभाज्य अंग है। आदर्श विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य राजूराम पारीक, शांतिलाल बैद ने भी विचार व्यक्त किए। संगोष्ठी में आदर्श विद्या मंदिर सहित दर्जनों अध्यापक उपस्थित थे।
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