भीम 5 May 2011 (जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो )
साधुमार्गी जैन संघ के संत धर्मेश मुनि महाराज ने जैन स्थानक में कहा कि धर्म तारणहार है, जागृति प्रपंचों में उलझे मनुष्य की व्यथा यह है कि वह प्रतिदिन स्वयं के ही बिछाए जाल में फंसता चला जाता है, वहीं दूसरी ओर इनसे मुक्ति के लिए उसकी आत्मा आतुर रहती है। कवि रत्न गौतम मुनि ने कहा कि धर्म सेवा व श्रावक का लक्ष्य तत्व ज्ञान बन कर आत्म शत्रुओं से स्वयं की आत्मा को महफूज करना है। इस अवसर पर मोहन लाल गांधी, उत्तमचंद, नमन गन्ना, गणपतलाल, लालचंद मुणोत, हस्तीमल मुणोत, हिमांशु दक, अशोक मांडोत आदि मौजूद थे।
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