ज्ञान का अमृत डाले, वही होता है गुरु : महाश्रमण
रिछेड़ स्थित खीमज माताजी के दर्शन करते आचार्य महाश्रमण |
कुंभलगढ़ 4 May 2011 (जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो )
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि शिक्षा जरूरी है। शिक्षा के लिए स्कूल बने हुए हैं। जनता व सरकार को शिक्षा के प्रति जागरूक रहना चाहिए। यह विचार आचार्य ने मंगलवार को तुलसी विहार में अणुव्रत शिक्षक सम्मेलन के दौरान उपस्थित शिक्षक व शिक्षिकाओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बच्चों को स्कूल में इसलिए भेजा जाता है कि वे वर्षों तक स्कूल में रहकर शिक्षा प्राप्त करें, आत्मनिर्भर एवं सुसंस्कारी बनें। विद्यालय एक मंदिर है, जहां शिक्षक व छात्र सरस्वती की उपासना करते हैं। ज्ञान का अमृत डाले, वो शिक्षक है। इसमें विद्यार्थियों का शारीरिक, मानसिक एवं भावात्मक विकास होना जरूरी है। शिक्षक छात्रों को ज्ञान दे यह उसका कर्तव्य बनता है।
जानकारी के साथ....
जब तक लोभ कम नहीं हो सकता व आत्मा शुद्धि की ओर नहीं बढ़ सकती। धर्म सभा में मुनि प्रसन्न कुमार, मुनि किशनलाल ने भी उद्बोधन दिया। तेरापंथ सभा भवन से श्रावकों के यहां पगल्या करने जाते समय सुबह करीब आठ बजे रिछेड़ के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक खीमज माता के मंदिर में गए तथा मंदिर में माताजी के दर्शन किए।
व्यक्तित्व विकास कार्यशाला आज : तेरापंथ सभा भवन रिछेड़ में बुधवार से दो दिवसीय व्यक्तित्व विकास कार्यशाला आयोजित की जाएगी। कार्यशाला प्रेक्षा प्राध्यापक मुनि किशनलाल के निर्देशन में होगी। कार्यशाला को आचार्य महाश्रमण भी संबोधित करेंगे।
Post a Comment