नीपल गांव ५ मार्च २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
शांति दूत आचार्य श्री महाश्रमण जी ने कहा कि आसक्ति कमजोर होने पर व्यक्ति पाप, अपराध व हिंसा की ओर अग्रसर होता है। नशा इन अपराधों की उत्पति का प्रमुख कारण है। सभी को व्यसन मुक्त रहकर अनासक्ति को मजबूत रखते हुए गृहस्थ जीवन में धर्म की साधना करनी चाहिए।
आचार्य श्री सोमवार को नीपल गांव में अहिंसा रैली के दौरान श्रद्धालुओं का संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नशा मुक्त समाज से ही समाज, प्रदेश व देश का उत्थान होगा। आचार्य ने कहा कि आदमी का जीवन शरीर और आत्मा दोनों के योग से होता है, न कि दोनों की स्वतंत्रता से। केवल शरीर पार्थिव देह है और आत्मा का अलग होना मृत्यु है। भोजन, पानी के ग्रहण के बिना देह नहीं टिकती, इसलिए जीवन के लिए इनका होना आवश्यक है। इसी प्रकार आत्मा के लिए भी भोजन अपेक्षित है। धर्म की आराधना आत्मा का भोजन है। आचार्य ने कहा कि धर्म दो प्रकार का होता है उपासना व आचरणात्मक।
जप करना,
नीपल गांव ५ मार्च २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
शांति दूत आचार्य श्री महाश्रमण जी ने कहा कि आसक्ति कमजोर होने पर व्यक्ति पाप, अपराध व हिंसा की ओर अग्रसर होता है। नशा इन अपराधों की उत्पति का प्रमुख कारण है। सभी को व्यसन मुक्त रहकर अनासक्ति को मजबूत रखते हुए गृहस्थ जीवन में धर्म की साधना करनी चाहिए।
आचार्य श्री सोमवार को नीपल गांव में अहिंसा रैली के दौरान श्रद्धालुओं का संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नशा मुक्त समाज से ही समाज, प्रदेश व देश का उत्थान होगा। आचार्य ने कहा कि आदमी का जीवन शरीर और आत्मा दोनों के योग से होता है, न कि दोनों की स्वतंत्रता से। केवल शरीर पार्थिव देह है और आत्मा का अलग होना मृत्यु है। भोजन, पानी के ग्रहण के बिना देह नहीं टिकती, इसलिए जीवन के लिए इनका होना आवश्यक है। इसी प्रकार आत्मा के लिए भी भोजन अपेक्षित है। धर्म की आराधना आत्मा का भोजन है। आचार्य ने कहा कि धर्म दो प्रकार का होता है उपासना व आचरणात्मक।
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