Mar 11, 2012

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व्यसन मुक्त रहकर अनासक्ति को मजबूत - आचार्य श्री महाश्रमण




नीपल गांव ५ मार्च २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो 
शांति दूत आचार्य श्री महाश्रमण जी ने कहा कि आसक्ति कमजोर होने पर व्यक्ति पाप, अपराध व हिंसा की ओर अग्रसर होता है। नशा इन अपराधों की उत्पति का प्रमुख कारण है। सभी को व्यसन मुक्त रहकर अनासक्ति को मजबूत रखते हुए गृहस्थ जीवन में धर्म की साधना करनी चाहिए। 

आचार्य श्री सोमवार को नीपल गांव में अहिंसा रैली के दौरान श्रद्धालुओं का संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नशा मुक्त समाज से ही समाज, प्रदेश व देश का उत्थान होगा। आचार्य ने कहा कि आदमी का जीवन शरीर और आत्मा दोनों के योग से होता है, न कि दोनों की स्वतंत्रता से। केवल शरीर पार्थिव देह है और आत्मा का अलग होना मृत्यु है। भोजन, पानी के ग्रहण के बिना देह नहीं टिकती, इसलिए जीवन के लिए इनका होना आवश्यक है। इसी प्रकार आत्मा के लिए भी भोजन अपेक्षित है। धर्म की आराधना आत्मा का भोजन है। आचार्य ने कहा कि धर्म दो प्रकार का होता है उपासना व आचरणात्मक। 

जप करना,

भाव पूजा करना, सत्संग करना उपासनात्मक धर्म है। ईमानदारी नैतिकता, सत्य व निष्ठा आचरणात्मक धर्म है। इस अवसर पर दीपचंद नाहर ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इससे पूर्व महाश्रमण की अहिंसा रैली का नीपल नगर में प्रवेश होने पर सोहनराज जैन, बस्तीमल जैन, नगराज जैन, अरविंद, विनोद कुमार के नेतृत्व में स्वागत किया। वहीं मुंबई- चेन्नई प्रवासी एकता परिषद के संयोजक केवलचंद मांडोत, फतेहराज सेठिया व कपूरचंद ने आचार्य श्री महाश्रमण जी से नीपल में पहुंचकर आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम का संचालन मुनि श्री दिनेश कुमार ने किया। वहीं कार्यकर्ताओं ने अहिंसा यात्रा के दौरान विद्यार्थियों को शिक्षण सामग्री भी वितरित की।

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