May 9, 2012

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अहंकार पतन का मार्ग


अहंकार पतन का मार्ग


बालोतरा जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
मानव जीवन दुर्लभ माना जाता है। इसका सही मूल्यांकन होना जरूरी है। पदार्थ परक दृष्टिकोण वाला व्यक्ति जीवन की महत्ता समझ नहीं सकता। अहंकार पतन का मार्ग है। अहंकारी व्यक्ति यथार्थ से अनभिज्ञ रहता है। औरों के सामने व्यक्ति अहंकार का प्रदर्शन कर भी सकता है पर मौत के आगे तो किसी का अहं नहीं चलता। कोई यह सोचे कि मेरे पास सुरक्षा की बहुत बड़ी व्यवस्था है, मौत मेरा क्या बिगाड़ेगी ? क्या वह मौत के मुंह में जाने से बच सकता है ?

्ञानीजन कहते हैं , व्यक्ति किस बात का अहं करे? आज जिसे मनुष्य जन्म प्राप्त है, वह कितनी बार बेर की गुठली में पैदा हुआ होगा? कितनी बार खजूर की गुठली में जन्म लिया होगा? कितनी बार सांप, बिच्छू बना होगा? कितनी बार पेड़-पौधा बना होगा? जो व्यक्ति सच्चाई को समझ लेता है, उसका अहं खत्म हो जाता है।

मानव की महत्ता

व्यक्ति अपनी दृष्टि को सम्यक बनाए, चिंतन करे, जीवन की महत्ता समझे, यह अपेक्षित है। इंसान में भगवान बनने की सामथ्र्य है। आत्मा में परमात्मा बनने की शक्ति है। पशु-पक्षी जगत में वह नहीं है। देव भी भगवत्ता को प्राप्त नहीं हो सकते। एक मात्र मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो विकास के परम शिखर को छू सकता है। इस दृष्टि से मनुष्य जीवन का बहुत बड़ा महत्व है। मनुष्य में सोचने की सामथ्र्य है, विवेक-चेतना है। वह धर्म का आचरण कर सकता है। मनुष्य और पशु के बीच भेद रेखा खींचने वाला धर्म ही है। आहार, निद्रा, भय, मैथुन- इन चार बातों की मनुष्य और पशु में समानता है। एक धर्म अथवा विवेक ही ऐसा तत्त्व है, जिसके आधार पर पशु से मनुष्य की अलग पहचान होती है।

दृष्टि में ही सृष्टि

दृष्टि में ही सृष्टि है। चिंतनीय बिंदु है कि दृष्टि कहां टिकी है? सद्गुणों पर या दुर्गुणों पर? हम विचार करें कि आदमी की दृष्टि कहां टिकी है, गुणों पर या बुराइयों पर? सद्गुण ग्राह्य हैं और दुर्गुण त्याज्य। क्रोध करना, अपशब्द का प्रयोग करना, असत्य बोलना, धोखा देना, चोरी करना, असंयम करना, ये दुर्गुण हैं। विनम्र रहना, किसी को कष्ट न देना, असत्य न बोलना, सरल होना, ये सद्गुण हैं। सद्गुण संजोकर व्यक्ति महान तो दुर्गुण संजोकर व्यक्ति अधम बन सकता है। अपेक्षा है महान बनने के बीजों पर दृष्टि रखते हुए उन्हें पल्लवित, पुष्पित और फलित करने की दिशा में गति हो और पतन की ओर ले जाने वाले बीजों को नष्ट करने का प्रयत्न हो। जीवन की सफलता का यह बीजमंत्र है।

आचार्य महाश्रमण

आओ हम जीना सीखें
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