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Feb 28, 2013

मुनि श्री जसराजजी का संथारा आज 10 .30 बजे सम्पन

संथारा आत्म शुद्धि की प्रक्रिया : मुनि जयंत 

80 वर्षीय जैन मुनि जसराज ने स्वीकारा संथारा, मुनि सुमेरमल ने कराया प्रत्याख्यान 

छापर 28 फरवरी 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो 

सेवा केंद्र में वृद्ध साधु संतों के साथ पिछले दो वर्षों से सेवा ले रहे जैन मुनि जसराज भादरा ने बुधवार सुबह 9.20 बजे भिक्षु साधना केंद्र में संथारा स्वीकारा। इस दौरान सेवा केंद्र व्यवस्थापक मुनि सुमेरमल सुदर्शन ने आचार्य महाश्रमण से आज्ञा प्राप्त कर जैन मुनियों, श्रावक समाज व परिवार जनों की उपस्थिति में मुनि जसराज को तिविहार संथारे का प्रत्याख्यान करवाया। मुनि जयंत कुमार ने कहा कि संथारा आत्म शुद्धि की प्रक्रिया है। जैन धर्म में मृत्यु को महोत्सव बनाने की विधि निर्देशित है उसी विधि के अनुसार मृत्यु को नजदीक से जानकर एक जैन मुनि संलेखना शुरू करता है और बाद में अंतिम अवस्था में संथारा स्वीकारता है। जैन मुनि ने कहा कि मुनि जसराज गत 50 दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे, सात दिनों की तपस्या के बाद बुधवार सुबह 9.20 बजे संथारे को स्वीकार किया। इससे पूर्व मुनि जसराज के संथारा स्वीकार करने पर श्रावक समाज ने मंगल मंत्रों व जय करों से वातावरण को गुंजायमान किया। अनुशासन कुमार ने संथारे पर गीत का संगान किया। मुनि मानस कुमार व मुनि तन्मय कुमार ने संथारे की महिमा बताई। इस मौके पर संथारा रत मुनि जसराज के भतीजे विनोद बोथरा, बाबूलाल बोथरा व गुलाब बोथरा, बहन लिछमा कोचर, तेरापंथ सभा प्रवक्ता प्रदीप सुराना, रूपचंद दुधोडिय़ा, विमल दुधोडिय़ा, विजेंद्र दुधोडिय़ा, गजराज दुधोडिय़ा, आलोक नाहटा, चमन दुधोडिय़ा, लक्ष्मीपत सुराणा, हुलास चोरडिय़ा, रामदेव मूंधड़ा, शांति देवी, पुष्पा दुधोडिय़ा आदि मौजूद थे।

मुनि श्री जसराजजी का संथारा आज 10 .30 बजे सम्पन
60 वर्ष पूर्व आचार्य तुलसी से ली थी दीक्षा


28 फरवरी 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो

80 वर्ष की आयु में संथारा स्वीकार करने वाले जैन मुनि जसराज का जन्म हनुमानगढ़ जिले के भादरा के बोथरा परिवार में हुआ। तेरापंथ सभा के प्रवक्ता प्रदीप सुराणा ने बताया कि मुनि जसराज ने 20 वर्ष की आयु में आज से 60 साल पूर्व तेरापंथ धर्म के नौवें आचार्य तुलसी से दीक्षा स्वीकार की। मुनि जसराज ने जैन मुनि जंवरीमल के साथ देश के अनेक प्रांतों की पदयात्रा कर जैन धर्म का प्रचार प्रसार किया। गत दो वर्षों से मुनि जसराज छापर सेवा केंद्र में सेवाग्राही मुनि के रूप में प्रवास कर रहे थे।

Feb 27, 2013

मुनि श्री जसराज जी की संथारा

Chapar se hamare pratinidhi ke anusar Muni sumer mal ji sudarshan ne Muni jasraj ji ko 9:20 pr santhare ka pratyakhyan karwaya....is moke pr muni jayant kumar ne H.H ACHARYA MAHASHRAMAN JI ki aagya prapt hone ki jankari dete hua santhare ko aatm shudi ki prakriya bataya

मुनि श्री जसराज जी की संथारा

Aug 23, 2012

छापर : संवत्सरी को आत्म सन्निधि का पर्व :मुनि सुमेरमल सुदर्शन

छापर. २२ अगस्त २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
भिक्षु साधना केंद्र में मुनि सुमेरमल सुदर्शन के सानिध्य में संवत्सरी कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम में मुनि ने संवत्सरी को आत्म सन्निधि का पर्व बताते हुए कहा कि संसार में अनेक पर्व मनाए जाते है, ले
किन संवत्सरी जैसा पर्व कहीं नहीं मनाया जाता। उन्होंने श्रावक समाज को धर्म की आराधना करने की बात कहते हुए कहा कि श्रावक ऐसे होते है जो संतों के दर्शनों के बिना मुंह में पानी नहीं डालते। धर्मसंघ के जनसम्पर्क प्रभारी मुनि जयंत कुमार ने कहा कि संवत्सरी महापर्व सामुदायिक जीवन जीने की कला का महाग्रंथ है, जिसे सबको पढऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि इस पर्व पर सांप्रदायिकता से सीख लेकर ही परिवारों के विघटन को रोका जा सकता है तथा देश में फैली क्षेत्रीय हिंसा पर काबू पाया जा सकता है। कार्यक्रम में मुनि तन्मय कुमार व मुनि अनुशासन कुमार ने आगम का वाचन किया। सादुलपुर. सेठिया अतिथि भवन में पर्युषण पर्व का सातवां दिन ध्यान दिवस के रूप में मनाया गया। समणी निर्देशिका ज्योतिप्रज्ञा ने कहा कि व्यक्ति को जब भी समय मिले, ध्यान लगाना चाहिए। समणी मानस प्रज्ञा ने भी विचार व्यक्त किए। अरिहंत कोचर ने बताया कि रात को दस का दम प्रतियोगिता हुई। प्रतियोगिता में विजेता प्रतियोगियों को समाजसेवी चंपालाल घोड़ावत व जीवनमल धाड़ेवा की ओर से पुरस्कृत किया गया।

Jun 13, 2012

आचार्य तुलसी एवं महाप्रज्ञ है कालूगणी का अवदान

छापर. (जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो के लिए संजय मेहता की रिपोर्ट)
भिक्षु साधना केंद्र में मंगलवार को सेवा केंद्र व्यवस्थापक मुनि सुमेरमल सुदर्शन के सानिध्य में हुए कार्यक्रम में लाडनूं से आए शासन गौरव मुनि धंनजय कुमार का अभिनंदन किया गया।
नचिकेता मुनि अनुशासन कुमार के मंगलपाठ से शुरू हुए कार्यक्रम में शासन गौरव मुनि ने कहा कि छापर एक तीर्थ भूमि है, जहां धर्मसंघ के अष्टमाचार्य कालूगणी का जन्म हुआ। उन्होंने धर्मसंघ के दो युग प्रधान आचार्य तुलसी व महाप्रज्ञ को कालूगणी की देन बताते हुए सेवा केंद्रों को तीर्थ के समान बताया। आचार्य महाप्रज्ञ के साहित्यों का संपादन करने वाले मुनि धंनजय ने कहा कि सेवा का जीवन में जितना मूल्य होता है, उतना किसी अन्य वस्तु का नहीं। ज्ञानी व ध्यानी महान होते है, लेकिन उनसे भी महान सेवा करने वाला होता है। केंद्र व्यवस्थापक ने कहा कि मुनि धंनजय ने आचार्य महाप्रज्ञ के साहित्यों का संपादन कर धर्म संघ की बहुत बड़ी सेवा की है। मुनि सुधांशु कुमार ने शासनश्री मुनि सुमेरमल सुदर्शन से लाडनूं आकर वहां के श्रावक समाज को लाभान्वित करने की बात कहीं। इससे पूर्व तेरापंथ धर्मसंघ के जनसंपर्क प्रभारी मुनि जयंत कुमार ने सेवा केंद्र की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर मुनि तंमय कुमार, तेरापंथ सभा के प्रवक्ता प्रदीप सुराणा, रणजीत दूगड़, तेयुप के चमन दुधोडिय़ा व महिला मंडल की मंत्री मंजू देवी दुधोडिय़ा ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में सुजानगढ़ तेरापंथ सभाध्यक्ष पृथ्वीराज बाफना, मंत्री विजयसिंह बोरड़ व विमल दुधोडिय़ा आदि उपस्थित थे।

May 20, 2012

स्मृति सभा में श्रीचंद नाहर को दी श्रद्धांजलि


स्मृति सभा में श्रीचंद नाहर को दी श्रद्धांजलि 
छापर.   २० मई २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो  
भिक्षु साधना केंद्र में शनिवार को शासन मुनि सुमेरमल सुदर्शन के सानिध्य में स्मृति सभा में तेरापंथ धर्मसंघ के वरिष्ठ श्रावक श्रीचंद नाहर के निधन पर श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम की शुरूआत में तेरापंथ सभा के प्रवक्ता प्रदीप सुराणा ने नाहर की धर्मसंघ के प्रति निष्ठा पर प्रकाश डालते हुए उनकी पारिवारिक पृष्ठ भूमि से अवगत कराया। मुनि सुदर्शन ने अपने वक्तव्य में नाहर परिवार की संघ व संघपति के प्रति निष्ठा की सराहना करते हुए श्रीचंद नाहर को धर्मसंघ का निष्ठावान श्रावक बताया। इस दौरान तेरापंथ धर्मसंघ के जनसंपर्क प्रभारी मुनि जयंत कुमार ने कहा कि नाहर ने अपनी मृत्यु को अपने धर्म व कर्म के बल पर उत्सव के रूप में पहचान दिलाई। जिससे समाज के अन्य श्रावकों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए। कार्यक्रम में राजकुमार डोसी, मुनि तन्मय कुमार, हेमलता नाहर, तेयुप अध्यक्ष आलोक नाहटा, रणजीत दूगड़, धर्मप्रकाश बैद व तेरापंथ सभाध्यक्ष कमलसिंह छाजेड़ ने भी अपने विचारों के माध्यम से श्रद्धा सुमन अर्पित किए। 
 

Apr 18, 2012

आचार्य महाप्रज्ञ की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम

१६ अप्रैल २०१२. चूरू
तेरापंथ धर्म संघ के १०वें आचार्य महाप्रज्ञ की दूसरी पुण्यतिथि के पर सोमवार को जिले में कई जगह प्रार्थना सभाएं हुईं। कार्यक्रमों में आचार्य का गुणनुवाद किया गया। श्रावकों ने नम आंखों से महाप्रज्ञ का स्मरण किया।
 
सुजानगढ़/ छापर .
दस्साणी भवन में जैन श्वेताबंर तेरापंथी सभा, तेरापंथ युवक परिषद व महिला मडंल की ओर से साध्वी राजीमति के सानिध्य में श्रद्धाजंलि सभा हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ महाप्रज्ञ अष्टकम से हुआ। साध्वी कुसुमप्रज्ञा व पुलकित यशा ने श्रद्धाजंलि स्त्रोत प्रस्तुत किया। महिला मंडल की बहनों व साध्वी करुणाश्राी व समताश्री ने गीतिका प्रस्तुत की। साध्वी राजीमति ने आचार्य महाप्रज्ञ के जीवन से जुड़े संस्मरण बताए। इस मौके पर विमला लोढ़ा, प्रदीप बैद, अंजू मालू, सीताराम दाधीच व सुभाष बेदी ने भी विचार प्रकट किए। संचालन अजय चोरडिय़ा ने किया। इसी क्रम में छापर के भिक्षु साधना केंद्र में मुनि सुमेरमल सुदर्शन के सानिध्य में सभा हुई। मुनि जयंत कुमार, मुनि अनुशासन कुमार, मुनि तन्मय कुमार, अमृत सांसद रणजीत दूगड़, सभा प्रवक्ता प्रदीप सुराणा, आलोक नाहटा, हर्षलता दुधोडिय़ा, यशा दुधोडिय़ा, प्रिया नाहटा व जयश्री दुधोडिय़ा ने विचारों के माध्यम से आचार्य को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

करुणा का दरिया थे महाप्रज्ञ
राजलदेसर.
साध्वी सेवा केंद्र व्यवस्थापिका कैलाशवती के सानिध्य में प्रेक्षा प्रणेता आचार्य महाप्रज्ञ की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम हुआ। साध्वी ने कहा कि गुरुदेव करुणा का बहता दरिया थे। उनमें बचपन से ही करुणा के संस्कार थे। साध्वी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ का पहला संकल्प था कि मैं ऐसा कोई काम नहीं करुंगा जिससे मेरे गुरु को चिंतन करना पड़े। दूसरा मेरे सामने कैसी भी स्थिति आए मैं अपना धैर्य नहीं खोऊंगा। तीसरा संकल्प था कि मैं किसी का अनिष्ट चिन्तन नहीं करुंगा। महाप्रज्ञ ने अपने जीवन में तीनों संकल्पों की अखंड आराधना की। साध्वी ललिताश्री ने महाप्रज्ञ की जन्म स्थली टमकोर गांव को पुण्य धरा बताते हुए कहा कि मुझे भी उस धरा पर जन्म लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। साध्वी गुरुयशा के मंगलाचरण से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। साध्वी प्रभाश्री ने कविता, साध्वी रजतयशा ने गीतिका व महिला मंडल ने गीतिका के माध्यम से श्रद्धांजलि प्रस्तुत की।

आवेश और तनाव से मुक्त थे आचार्य
लाडनूं.
आचार्य महाप्रज्ञ का जीवन जागरूकता और अप्रमाद का अतुलनीय उदाहरण है। वे सदा आवेश और तनाव से मुक्त रहे। ये विचार तेरापंथ धर्म संघ के दसवें अधिशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ के महाप्रयाण दिवस पर हुए कार्यक्रम में शासन गौरव मुनि धनंजय कुमार ने व्यक्त किए।
पहली पट्टी स्थित ऋषभद्वार सभागार में हुए इस कार्यक्रम में मुनि कुमार ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ का जीवन अपने आप में एक धरोहर है। उनके समर्पण, पुरुषार्थ और आत्म कर्तव्य की गाथा प्रेरणादायी है। मुनिश्री ने कहा कि वे एक विशिष्ट महायोगी थे। साध्वी रतनश्री ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ एक ऐसे चमत्कारी महासूर्य है जिनके नाम का स्मरण करने से भी चमत्कार घटित हो जाए। समणी मल्लिप्रज्ञा ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ समण श्रेणी के सर्वांगीण विकास के स्वपन दृष्टा थे।
नगर पालिकाध्यक्ष बच्छराज नाहटा ने भी महाप्रज्ञ पर विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ समणी मृदुप्रज्ञा के मंगलाचरण से हुआ। साध्वी प्रमोदश्री ने महाप्रज्ञ के अवदानों पर प्रकाश डाला। मुनि अक्षय प्रकाश, मुनि मलयज कुमार साध्वी मृदुला कुमारी, साध्वी सूरजकुमारी, साध्वी चांद कुमारी, साध्वी हिमश्री, तेरापंथी सभा के मंत्री राजेश खटेड़ व समणी रमणीय प्रज्ञा ने भी विचार व्यक्त किए। ओसवाल सभा के मंत्री लक्ष्मीपत बैंगाणी व राजूदेवी चौरडिय़ा ने गीतिका प्रस्तुत की। संचालन सुनीता बैद ने

Mar 11, 2012

शासन गौरव मुनि श्री सुमेरमल जी सुदर्शन का छापर से विहार


शासन गौरव मुनि श्री सुमेरमल जी सुदर्शन का छापर से विहार
विभिन्न संगठनों ने जताई मंगल भावना
छापर १० मार्च २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
तेरापंथ धर्मसंघ के वृद्ध संतों की सेवार्थ संचालित देशभर के एक मात्र सेवा केंद्र छापर में पिछले एक वर्ष तक चाकरी करने वाले शासन गौरव मुनि ताराचंद स्वामी व निवर्तमान सेवा केंद्र व्यवस्थापक मुनि सुमति कुमार ने अपने सहवृति संत मुनि देवार्य कुमार व मुनि आदित्य कुमारके साथ कांकरोली के लिए मंगल विहार किया।

शासनश्री मुनि श्री सुमेरमल जी सुदर्शन ने भिक्षु साधना केंद्र पर मंगल भावना जताई। बाद में तेरापंथ सभा के प्रवक्ता प्रदीप सुराणा, विमल दुधोडिय़ा, लक्ष्मीपत सुराणा, जगतसिंह चोरडिय़ा, उत्तम दुधोडिय़ा, बिजेंद्र दुधोडिय़ा, रणजीत दूगड़, सूरजमल नाहटा, आलोक नाहटा, महिला मंडल की मंजू दुधोडिय़ा, कुसुम बैद, विमला नाहटा, कंचन देवी नाहटा, संपत्त डोसी, सरोज भंसाली, शांति देवी दुधोडिय़ा, कन्या मंडल की हर्षा, यशा, प्रिया, ज्योति, जयश्री व प्रिती सुराणा सहित अनेक जैन धर्मावलंबियों ने जुलूस के साथ जैन मुनियों को रवाना किया। देवाणी गांव के आरके भंसाली शिक्षण संस्थान में कन्हैयालाल भंसाली की अध्यक्षता व रेखाराम गोदारा के मुख्य आतिथ्य में जैन मुनियों का स्वागत समारोह हुआ।

कार्यक्रम में प्रदीप सुराणा व प्रधानाचार्य धन्नाराम प्रजापत विशिष्ट अतिथि थे। कार्यक्रम में कवि गौरीशंकर शर्मा, रचना जैन, कवि धन्नाराम प्रजापत व संस्थान के प्रधानाध्यापक ओमप्रकाश ओझा ने विचार व्यक्त किए। इससे पूर्व भिक्षु साधना केंद्र में तेरापंथ सभाध्यक्ष कमलसिंह छाजेड़ की अध्यक्षता में सेवा केंद्र से विदाई लेने वाले जैन मुनियों का अभिनंदन समारोह हुआ। जिसमें मुनि तन्मय कुमार, मुनि जयंत कुमार, मुनि अनुशासन कुमार, हुलास सारड़ा, रामाकिशन मूंधड़ा, रामदेव मूंधड़ा, चंपालाल सोनी, जयचंदलाल सोनी, जयप्रकाश सोनी, चैनरूप दायमा, पालिका उपाध्यक्ष फूलवती घोटड़, नारायणदास कामड़, जयराम जांगिड, महावीर खटीक, राकेश ढेनवाल व विनोद भंसाली ने जैन मुनियों की सेवा चाकरी की सराहना की।
 
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